पाकिस्तान ने भारत के प्रयासों का बना दिया तमाशा: नरेंद्र मोदी

Last Updated 29 Aug 2014 08:43:05 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाक पर जोरदार चोट करते हुए कहा है कि पड़ोसी देश ने भारत के प्रयासों का तमाशा बना दिया है.


पाकिस्तान ने भारत के प्रयासों का बना दिया तमाशा: नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

पाकिस्तान और भारत के विदेश सचिवों के बीच 25 अगस्त की वार्ता रद्द होने के बारे में अपनी पहली प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मिलकर तय किया था कि संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के विदेश सचिवों को मिलना चाहिए लेकिन हमें इस बात का अफसोस है कि पाकिस्तान ने इन प्रयासों पर तमाशा खड़ा करने की कोशिश की और विदेश सचिवों की मुलाकात से ठीक पहले नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर से विघटनकारी तत्वों से मिलने लगा.
      
टोक्यो की शनिवार से होने वाली यात्रा से ठीक पहले जापानी पत्रकारों के सवालों के जवाब में मोदी ने कहा कि भारत को शिमला समझौते और लाहौर घोषणा के तहत स्थापित द्विपक्षीय ढांचे के तहत किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने में कोई भी हिचकिचाहट नहीं है लेकिन उन्होंने कहा कि आतंकवाद और हिंसा के वातावरण में बातचीत नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा 'हम पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण, दोस्ताना और सहयोगी संबंध चाहते हैं लेकिन मैं यह बता देना चाहता हूं कि सार्थक आपसी बातचीत के लिए ऐसा माहौल चाहिए जो खूनखराबे और दहशतगर्दी से मुक्त हो'.

पाकिस्तान के बारे में मोदी का यह कठोर रूख ऐसे समय सामने आया है जब सरहद पर पाकिस्तानी सेना की ओर से फायरिंग का दौर चल रहा है.

दूसरी ओर पाकिस्तान के भीतर भी राजनीति गर्मायी हुई है और सरकार के बचाव के लिए सेना प्रमुख तक को मध्यस्थता करनी पड़ रही है.
     
अफगानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाली फौजों की इस साल के अंत तक वापसी के बाद की स्थिति के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिरता को उसके सरहदों के पार से आतंकवाद से गंभीर खतरे बने हुए हैं.

उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान को मजबूत, स्वाधीन और समृद्ध देश बनता देखने के लिए प्रतिबद्ध है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के सुरक्षा बल और उनके बहादुर जवान यह साबित कर रहे हैं कि वे अपने देश की सुरक्षा के लिए सक्षम हैं.
    
भारत और पाकिस्तान के बीच प्रधानमंत्री स्तर पर बातचीत 26 मई को हुई थी. जब शरीफ भारत में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने आए थे.

इस वार्ता के नतीजे के रूप में विदेश सचिव सुजाता सिंह को 25 अगस्त को पाकिस्तान जाना था लेकिन इससे ठीक पहले पाकिस्तानी दूतावास ने नई दिल्ली में कश्मीरी पृथकतावादियों को बुलाने का न्योता देकर इस सारी प्रक्रिया को पटरी से उतार दिया.



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