अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी भारत पहुंचे

Last Updated 30 Jul 2014 10:52:30 PM IST

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी बुधवार रात भारत पहुंचे. अंतरराष्ट्रीय पालम एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी विदेश विभाग के अधिकारी विक्रम कुमार दौरईस्वामी ने की.


अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी भारत पहुंचे.

केरी एक उच्चाधिकार प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. केरी तीन दिवसीय अपनी आधिकारिक भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ 31 जुलाई को भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता की सह अध्यक्षता करेंगे.

केरी के साथ सफर कर रही अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि केरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे. यह ओबामा प्रशासन और मोदी के नेतृत्व वाली भारत की नयी सरकार के बीच पहली कैबिनेट स्तरीय बैठक है. केरी के नेतृत्व वाले उच्चाधिकार प्राप्त प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पेनी प्रित्जकर भी शामिल हैं.

\"\"कांग्रेस सांसद जो क्राउली ने कहा, ‘‘अमेरिका-भारत संबंध के लिए काफी संभावनाएं हैं तथा रणनीतिक वार्ता आगे बढ़ाने के तरीके का पता लगाने का एक अच्छा मौका है.’’

डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष सांसद एवं भारत और भारतीय मूल के भारतीयों पर कांग्रेसी समूह की सहअध्यक्षता करने वाले क्राउली ने कहा, ‘‘हमारे देश के लोगों के बीच पहले से ही बहुत मजबूत संबंध हैं और हमें साथ मिलकर काम करने के लिए सब कुछ करना चाहिए.’’

अधिकारियों का कहना है कि केरी की यह यात्रा मोदी की सितम्बर में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के लिए होने वाली अमेरिका यात्रा के लिए आधार बनाएगी.

जेन साकी ने कहा, ‘‘केरी की यात्रा अमेरिका-भारत साझेदारी के महत्व को रेखांकित करती है और यह प्रधानमंत्री मोदी की सितम्बर में होने वाली अमेरिका यात्रा के लिए आधार बनाएगी.’’

विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने संवाददाताओं को बताया कि रणनीतिक वार्ता से भारत के साथ पहले से ही मजबूत रहे संबंधों को और मजबूती प्रदान करने और नई सरकार के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं व क्षेत्रीय हितों को आगे बढ़ाने पर काम शुरू करने का मौका है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह वार्ता व्यापार बढ़ाने और अधिक साझा समृद्धि प्राप्त करने पर केंद्रित होगी. वार्ता में आपसी सहयोग और स्वच्छ ऊर्जा के जरिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने, आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में आंतरिक सुरक्षा सहित दोनों ही देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे जैसे वैश्विक मुद्दों को सुलझाने पर केंद्रित होगी.’’

सांसद क्राउली ने उम्मीद जतायी कि भविष्य में होने वाली वार्ताओं में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत व प्रगाढ़ करने के लिए विदेश मंत्रालय से परे भी दोनों देशों के चुने गए अधिकारियों को ऐसी चर्चाओं में शामिल किया जाएगा.

\"\"ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन में विदेश नीति कार्यक्रम से जुड़ी एवं न्यू इंडिया प्रोजेक्ट की निदेशक तन्वी मदान ने कहा, ‘‘इस वक्त जब कई विदेश नीति संकट हैं और कई मुद्दों पर अमेरिका को ध्यान देने की आवश्यकता है जिसमें तत्कालीन दौरा और भविष्य के कई दौरों - चक हेगल (रक्षा मंत्री) के दौरे सहित - से यह संकेत मिलता है कि ओबामा प्रशासन इस संबंध को प्राथमिकता देता है और इस मौके का लाभ उठाना चाहती है कि भारत की नयी सरकार ने इसे आगे बढ़ाने की पेशकश की है.’’

मदान ने कहा, ‘‘यह (केरी और प्रित्जकर की यात्रा) अमेरिका की तरफ से पहली प्रमुख यात्रा है और यह यात्रा दोनों राजनीतिक नेतृत्वों को आपने सामने का सम्पर्क और सक्रिय संबंध स्थापित करने का मौका प्रदान करेगा. इससे दोनों ही पक्षों को वाणिज्य, आंतरिक सुरक्षा, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे कई पक्षों पर बातचीत को आगे बढ़ाने एवं प्रधानमंत्री के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की वार्ता की दिशा में मजबूत माहौल बनाने का अवसर मिलेगा.’’

मदान ने कहा, ‘‘जहां तक उम्मीदों का सवाल है तो मैं किसी बड़ी घोषणाओं- बड़े परिणाम और उत्पादों की उम्मीद नहीं करती, इनके मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान घोषणा किए जाने की उम्मीद है. मैं उम्मीद करती हूं कि यह यात्रा इन घोषणाओं के लिए जमीन तैयार करने का काम करेगी.’’



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