अनैतिक कार्यों में लगे डाक्टरों को अयोग्य करार दिया जाना चाहिए: हर्षवर्धन

Last Updated 22 Jul 2014 09:54:21 PM IST

मरीजों से धन ऐंठने के लिए बड़े पैमाने पर डाक्टरों और डायगनोस्टिक सेंटरों के बीच सांठगांठ पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि डाक्टरों द्वारा ‘कमीशन’ स्वीकार किया जाना चिकित्सा संहिता का उल्लंघन है.


स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन (फाइल फोटो)

उन्होंने एक न्यूज चैनल द्वारा स्टिंग आपरेशन के जरिए सामने लाए गए इस मामले की जांच के आदेश भी दिए.
  
स्टिंग आपरेशन के माध्यम से डाक्टरों और पैथोलाजी लैबों के बीच चल रही कथित सांठगांठ के खुलासे पर डॉ. हर्षवर्धन ने संसद के दोनों सदनों में दिए बयान में कहा कि ऐसे अनैतिक कार्य में लगे डाक्टरों को अयोग्य करार दिए जाने की जरूरत है.

लेकिन साथ ही कहा कि वह ऐसे अस्पष्ट वर्णन से चिकित्सा समुदाय को ऐसी कुप्रथाओं का दोषी स्वीकार नहीं करते.
  
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि मंत्रालय को टीवी कार्यक्रम में दर्शाए गए तथ्यों की निष्पक्ष जांच करने के लिए कहा गया है और चिकित्सा सेवाओं में अधिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने के संबंध में सुझाव देने के लिए प्रख्यात चिकित्सकों और उपभोक्ता विधि विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने को कहा गया है.
  
हर्षवर्धन ने 21 जुलाई को एक न्यूज चैनल पर प्रसारित ‘आपरेशन जोंक’ नामक स्टिंग आपरेशन के बारे में आज संसद के दोनों सदनों में अपनी ओर से बयान दिया.

इस स्टिंग आपरेशन में आरोप लगाया गया है कि रोग विज्ञान प्रयोगशाला और नैदानिक जांच केंद्रों की सांठगांठ से रोगियों को ठगा जा रहा है.

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मंत्रालय ऐसे अस्पष्ट वर्णन से चिकित्सा समुदाय को ऐसी कुप्रथाओं का दोषी स्वीकार नहीं करता है. लेकिन ऐसा महसूस किया जाता है कि कुछ व्यक्ति हैं जो ऐसे अनैतिक कार्य में लगे हुए हैं, उनकी पहचान की जानी चाहिए और उन्हें चिकित्सक जैसे उत्कृष्ट पेशे का कार्य करने के लिए अयोग्य करार दिया जाना चाहिए.
  
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वीकार करता है कि रोगियों को चिकित्सा में ऐसे घृणित व्यवहार से सुरक्षा दिलाने की जरूरत है जो मौजूदा कानूनों के कार्यान्वयन और अपर्याप्त सरकारी निगरानी की कमी के कारण पनपता रहा है.
   
टीवी चैनल ने इस स्टिंग आपरेशन में दिखाया है कि कुछ डाक्टर एमआरआई, सी टी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और रोजाना के पैथोलोजी टेस्टों के लिए 30 से 50 फीसदी तक कमीशन ले रहे हैं.
   
इस खुलासे का गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में घुस आई इन प्रवृत्तियों पर रोक लगाए जाने की जरूरत है.
   
उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य सचिव स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सामने लाए गए तथ्यों की निष्पक्ष जांच करेंगे और साथ ही चैनल से जांच में मदद के लिए स्क्रिप्ट की एक कापी और डीवीडी सौंपे जाने को भी कहा गया है.



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