गुर्दे के दान ने पार कीं मजहब की दीवारें

Last Updated 23 Apr 2014 09:45:15 PM IST

दो महिलाओं विमला द्विवेदी और नाजिया हबीब ने अपने-अपने पतियों की जिन्दगी बचाने के लिए जाति और मजहब की सभी दीवारों को तोड़ दिया.




गुर्दे के दान ने पार कीं मजहब की दीवारें (फाइल फोटो)

दोनों को अपने-अपने पतियों के लिए एक डोनर की आवश्यकता थी जो किडनी दे सके और वे सभी उम्मीदें खो चुकी थीं.

ये दोनों महिलाएं रक्त समूह नहीं मिलने के कारण अपने पतियों को खुद की किडनी नहीं दे सकती थीं.

दोनों मरीज दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल के इंस्टिट्यूट ऑफ रीनल साइंसेज में भर्ती थे. वहां पता चला कि विमला का रक्त समूह नाजिया के पति के रक्त समूह से मिलता था और नाजिया का रक्त समूह विमला के पति के रक्त समूह से मिलता था.

डॉ. दिनेश खुललर और डॉ. अनंत कुमार ने दोनों परिवारों की बैठक कराई और उन्हें एक-दूसरे की सहायता किए जाने की संभावना के बारे में बताया.

नौ अप्रैल को मरीजों और डोनरों को ऑपरेशन के लिए ले जाया गया. करीब आठ घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद रमेश द्विवेदी को नाजिया की किडनी और मोहम्मद शमीम को विमला की किडनी सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दी गई.

दोनों मरीजों और डोनरों को अब असपताल से छुट्टी मिल चुकी है.



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