पहली नजर में जस्टिस गांगुली का आचरण आपत्तिजनक

Last Updated 06 Dec 2013 03:15:35 AM IST

न्यायमूर्ति एके गांगुली के खिलाफ शिकायत करने वाली कानून की इंटर्न के बयान से सुप्रीम कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि पहली नजर में गांगुली का आचरण आपत्तिजनक था.


ए.के. गांगुली (फाइल फोटो)

उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की समिति न्यायमूर्ति एके गांगुली के खिलाफ शिकायत करने वाली कानून की इंटर्न के बयान से इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि पहली नजर में उनका (गांगुली का) आचरण ‘अवांछित’ और ‘यौन’ प्रकृति का था.

न्यायाधीशों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हमने इंटर्न के बयान (मौखिक और लिखित), तीन गवाहों के हलफनामों और न्यायमूर्ति एके गांगुली के बयान का बारीकी से अध्ययन किया है. समिति को ऐसा लगता है कि 24 दिसम्बर, 2012 की शाम वह (ला इंटर्न) होटल ली मेरीडियन में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एके गांगुली के काम में मदद के लिए गयी थी. इस तथ्य से न्यायमूर्ति गांगुली ने भी अपने बयान में इनकार नहीं किया है.’

रिपोर्ट के मुख्य अंश के अनुसार, ‘यही नहीं, समिति का यह सुविचारित मत है कि इंटर्न का मौखिक और लिखित बयान पहली नजर में एके गांगुली द्वारा 24 दिसम्बर, 2012 को रात आठ से साढ़े दस बजे के बीच होटल ली मेरीडियान के कमरे में उसके साथ अवांछित आचरण वाले कृत्य (यौन प्रकृति का अवांछित मौखिक -गैर मौखिक आचरण) का खुलासा करता है.’

प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम ने दो पेज के बयान में इस इंटर्न के नाम का खुलासा किया, लेकिन ऐसे मामलों में कानूनी जरूरतों और मीडिया नीति के मद्देनजर खबर में उसके नाम का जिक्र  नहीं है. न्यायमूर्ति सदाशिवम के अनुसार इस तथ्य के मद्देनजर कि इंटर्न उच्चतम न्यायालय के रोल पर इंटर्न नहीं थी और संबंधित न्यायाधीश भी इस घटना के दिन सेवानिवृत्त हो जाने के कारण अवकाश ग्रहण कर चुके थे, इस अदालत द्वारा आगे किसी कार्रवाई की जरूरत नहीं है.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, चूंकि मीडिया में प्रकाशित खबर में कथित रूप से यह भूल थी कि वह ‘उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश’ थे, एक समिति गठित की गयी थी जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है. प्रधान न्यायाधीश के बयान के अनुसार, ‘‘पूर्ण न्यायालय की 5 दिसम्बर, 2013 को हुई बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार यह स्पष्ट किया जाता है कि इस न्यायाधीश के पूर्व न्यायाधीशों के खिलाफ प्रतिवेदन उच्चतम न्यायालय के प्रशासन द्वारा विचार योग्य नहीं हैं.’ रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया जाता है कि समिति की रिपोर्ट की प्रति इंटर्न और न्यायमूर्ति गांगुली को भेज दी जाये.



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