तनाव की वजह आपका ही घर तो नहीं !
जब किसी घर में रहने वाले लोग गलत दिशा में सोना शुरू कर देते हैं तो उन्हें चिंता घेर लेती हैं.
घर का वास्तुशास्त्र (फाइल) |
सामान्य कारणों के लिए आपा खोना, नौकरी छूटने के डर के साथ जीना, स्टॉक मार्केट क्रैश के बारे में लगातार सोचना या किसी बीमार पारिवारिक सदस्य या दोस्त के बारे में सोचना हमारी रोजाना की जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं. हम सब अनिश्चितता की स्थितियों के बारे में सोचते हैं. ये स्थितियां ही सामान्य चिंता, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, सामाजिक चिंता और पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस जैसी बीमारियों के कारण हैं.
हममें से कई ने इन बीमारियों के मूल कारण को जानने की कोशिश किये बिना तनाव, चिंता और डिप्रेशन के साथ जीना सीख लिया है. हमें पता है कि इस हालात का पहले ही इलाज कर लेना चाहिए, फिर भी हम ऐसा तभी करते हैं, जब ये स्ट्रोक्स, हार्ट अटैक, ओबेसिटी, इनफर्टिलिटी जैसे बुरे रूप अख्तियार कर लेते हैं और ये सब लंबे समय तक चलने वाले तनाव, चिंता और डिप्रेशन के परिणाम हैं.
आश्चर्यजनक तो यह है कि हममें से अधिकतर को इस बात का पता तक नहीं है कि इन बीमारियों के मुख्य कारणों में से एक की जड़ें हमारे अपने घर में ही हैं.
हमारे घर में हमारे आसपास फैली निगेटिव एनर्जी का परिणाम चिंता और तनाव के रूप में सामने आता है.
वास्तुशास्त्र का कहना है कि यदि हमारा घर यूनिवर्सल एनर्जी सिस्टम के आधार पर बना हो तो कोई भी बाहरी तत्व वहां रहने वालों को तनावपूर्ण या चिंतित नहीं कर सकता. वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाया गया घर यह सुनिश्चित करता है कि वहां रहने वाले लोग हमेशा शांति महसूस करेंगे, उनकी रोजाना की जिंदगी में आने वाली निगेटिविटी घर की पॉजिटिव एनर्जी से खत्म हो जाती है.
वास्तुशास्त्र ने घर में की जाने वाली हर गतिविधि के लिए कुछ दिशाओं का वर्गीकरण किया है. ये वर्गीकरण हर दिशा में मौजूद एनर्जी के स्तर के अनुसार किये गये हैं. जब किसी घर में रहने वाले लोग मन मंथन वाली दिशा यानी पूर्व-दक्षिण-पूर्व में सोना शुरू कर देते हैं तो उन्हें चिंता घेर लेती है.
चिंता का दूसरा कारण इस जोन में योग या प्रार्थना करना भी है. पिछले 20 वर्षों में वास्तु के क्षेत्र में किये गये शोध एक आश्चर्यजनक तथ्य सामने लेकर आये हैं. इनके अनुसार, डायबिटीज और हाई ब्लडप्रेशर से जूझ रहे अधिकतर लोगों का किचन इसी दिशा क्षेत्र में होता है.
इन लोगों के घरों में जब हमने महावास्तु बार चार्ट तकनीक के अनुसार पूर्व-दक्षिण-पूर्व की क्षेत्रीय शक्ति का विश्लेषण किया तो हमें यह पता चला कि इस क्षेत्र की एनर्जी किस तरह वहां रहने वाले लोगों के मन को प्रभावित करती है और व्यक्ति बेचैन हो जाता है.
वह सही निर्णय ले पाने की क्षमता खो देता है और उसे कई मामलों में नुकसान का सामना करना पड़ता है. इससे कई स्तरों पर उसकी चिंता और भी बढ़ जाती है. ठीक इसी तरह, इस क्षेत्र का बढ़ा होना किसी भी व्यक्ति को अधिक विश्लेषणात्मक बना देता है.
इस क्षेत्र में सोने से व्यक्ति की चिंता का स्तर बढ़ने के कारण उसे उलझते रिश्ते और खराब स्वास्थ्य का सामना करना पड़ सकता है.
उसके दिमाग में विचारों की उधेड़बुन चलती रहती है. इसलिए आदर्श स्थिति में, पूर्व-दक्षिण-पूर्व में बेडरूम नहीं होना चाहिए. वास्तुशास्त्र केवल आदर्श दिशा के बारे में ही नहीं बताता बल्कि आपको यह भी बताता है कि यदि आपके घर में वास्तु दोष है तो किस तरह निगेटिव एनर्जी को खत्म किया जा सकता है. यह शास्त्र केवल दोषों का पता नहीं लगाता, यह समस्याओं का समाधान भी बताता है.
उदाहरण के लिए, यदि आपका बेडरूम पहले से पूर्व-दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में है तो आपको इसके नकारात्मक प्रभाव को ठीक करने की जरूरत है.
दीवारों को लाइट क्रीम या हल्के पीले रंग के शेड की ओर या पेस्टल ग्रीन के लाइट टोन में करके इस नकारात्मकता को दूर किया जा सकता है. दीवारों पर ये रंग काफी हद तक तनाव और चिंता को सोख लेते हैं.
प्रैक्टिकल केस स्टडीज के आधार पर वास्तु के सरल फार्मुलों को सीख कर आप चिंता से छुटकारा पाने के अलावा उत्साह और फुर्ती से आगे बढ़ सकते हैं. इससे आपको घर से हर निगेटिविटी दूर करने में मदद मिलती है और शांति, समृद्धि और खुशहाली का आवागमन होता है.
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