जवां रहना चाहती हैं तो स्ट्रेस, एंगर और डिप्रेशन से रहे दूर

Last Updated 15 Jun 2013 05:29:38 PM IST

अगर लंबे समय तक जवां रहना चाहती हैं तो मुस्कुराती रहें. स्ट्रेस, एंगर और डिप्रेशन को अपनी जिन्दगी का हिस्सा न बनने दें.


जवां रहने का राज

कहा जाता है 'लाफ्टर इज द बेस्ट मेडिसिन' क्योंकि इससे हमारी सेहत को फायदा पहुंचता है. अध्ययन बताते हैं कि जब हमारे इमोशंस हमारे शरीर पर कुछ निगेटिव और पॉजिटिव असर डालते हैं तो इससे हमारी त्वचा पर भी असर पड़ता है.

यानी हम कैसे दिखते हैं और दूसरे हमें क्या समझते हैं, इसका काफी कुछ असर हमारे मूड और हमारे आउटलुक से पड़ता है. खराब मूड का असर हमारी त्वचा पर भी पड़ता है, जिसके कारण त्वचा पर समयपूर्व ही झुर्रियां और फाइन लाइन्स नजर आने लगती हैं. कुछ ऐसी ही फीलिंग्स जो हमारी त्वचा पर नजर आने लगती है:

स्ट्रेस

सभी इमोशंस या भावनाओं में स्ट्रेस (दबाव) हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है. स्ट्रेस के कारण चेहरे पर उम्र अपने समय से पहले ही नजर आने लगती है. ऐसा इसलिए क्योंकि स्ट्रेस पस्की हार्मोन कॉर्टिसोल का बड़ा स्टीमुलेटर है.

यह स्ट्रेस के दौरान आपके सिस्टम में स्वतंत्रत रूप से बहता है. कॉर्टिसोल प्रत्येक अंग पर दबाव डालता है, रक्त वाहिनियों को दुर्बल बनाता है.

साथ ही, त्वचा की नई कोशिकाएं जल्द नहीं बन पातीं. जिससे त्वचा बूढ़ी नजर आने लगती है. इसके अलावा स्ट्रेस में लोग ऐसी चीजें ज्यादा खाने लगते हैं जो आमतौर पर नहीं खाते- जैसे चॉकलेट, आलू के चिप्स और कॉकटेल. कई लोग तो पानी का कम और अल्कोहल का प्रयोग ज्यादा करने लगते हैं, जो डिहाइड्रेशन का रूप ले लेता है.

स्ट्रेस की स्थिति में लोग स्किन केयर रुटीन भी ठीक से नहीं अपनाते. जहां डिहाइड्रेशन चेहरे पर झुर्रियों और फाइन लाइन्स का कारण बनता है वहीं अनियमित भोजन और त्वचा पर ध्यान ना देने के कारण एक्ने की समस्या बन सकती है.

गुस्सा

बात-बात पर गुस्सा भी आपकी त्वचा पर झुर्रियों का कारण बन सकता है. गुस्से के कारण चेहरे की मांसपेशियां खिंच जाती है और समय के साथ-साथ चेहरे पर लाइन्स नजर आने लगती हैं. गुस्से का अहसास आपकी स्वस्थ और युवा त्वचा पर भी असर डालता है.

आसानी से गुस्सा करने वाले और शांत स्वभाव के लोगों के दो समूहों में एक अध्ययन कराया गया और प्रत्येक के हाथ में एक छोटा सा घाव बनाया गया.

इसके निष्कर्ष में देखा गया कि घाव भरने की गति शांत लोगों की तुलना में गुस्सैल लोगों में चार गुना धीमी थी.

डिप्रेशन

गुस्से के समान ही उदासी भी चेहरे पर दबाव डालती है और बार-बार नाक-भौं सिकोड़ने से झुर्रियों का कारण बनती है. शोध बताते हैं कि चेहरे की भाव-भंगिमा का त्वचा पर जबर्दस्त असर पड़ता है.

इसलिए अगर आपको नाक-भौं चढ़ाना नहीं आता तो वास्तव में आप उदासी भी कम महसूस करेंगे. लंबे समय का डिप्रेशन आपकी त्वचा पर अत्यधिक बुरा असर डालता है क्योंकि इस स्थिति से संबंधित केमिकल आपके शरीर की कोशिकाओं की सूजन और जलन को दुरुस्त करने से रोकता है.

ये हार्मोन्स नींद पर भी असर डालते हैं जो हमारे चेहरे पर सूजी आंखों और बेजान कॉम्पलेक्शन द्वारा नजर आने लगते हैं.

घबराहट

जब त्वचा के न्यूरोपेप्टाइड रिसेप्टर को आपके किसी कारणवश लज्जित होने का संदेश मिलता है तब यह संदेश आपके मस्तिष्क से आपकी त्वचा तक आ रहा होता है. शर्म से लाल होना और बार-बार शरमाना रक्त वाहिकाओं में स्थायी रूप से सूजन की पूर्वलक्षण हो सकते हैं जिसे रोसासिया कहते हैं.

जब आप घबराहट या खतरा महसूस करती हैं चाहे वह वास्तविक हो या कल्पना में तो मस्तिष्क की सबसे पहली प्रतिक्रिया एडर्नल ग्लैंड को एड्रेनालाइन का स्राव करने का संकेत देना होता है. जिसके परिणामस्वरूप हृदय गति बढ़ जाती है.

शरीर के फीयर केमिकल्स के कारण लोग अकसर पीले और फीके नजर आते हैं ऐसे जान पड़ता है जैसे अभी-अभी किसी डरावनी चीज को देख लिया हो.

इसलिए यदि आप अपनी त्वचा को हमेशा जवां बनाए रखना चाहती हैं तो स्ट्रेस, एंगर और डिप्रेशन से दूरी बनाये रखने का प्रयास करें.
 



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