क्वीन ऑफ द अरेबियन सी यानी कोच्चि

Last Updated 07 Sep 2012 04:04:22 PM IST

क्वीन ऑफ द अरेबियन सी के नाम से मशहूर कोचीन (कोच्चि) को दुनिया के खूबसूरत प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक माना जाता है.


भिन्न-भिन्न रंगों से सजी जीवंत चित्रावली जैसा है कोच्चि

कोच्चि केरल की व्यावसायिक राजधानी होने के साथ ही देश में तेजी से विकास करने वाले शहरों में शामिल है. कई तरह की संस्कृतियों जैसे पुर्तगाली, इंग्लिश, फ्रांस, डच और चीन के सामूहिक प्रभाव वाला कोच्चि भिन्न-भिन्न रंगों से सजी जीवंत चित्रावली जैसा है जो देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

कोच्चि में कई दर्शनीय स्थल शामिल हैं जहां केरल के गौरव और संस्कृति की कई मिसालें देखने को मिलती हैं. केरल की पहचान कथकली और मोहिनीअट्टम नृत्य हैं, जिनकी वजह से पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं.

क्या देखें---

कोचीन की धरोहर फोर्ट: कोचीन का यह हिस्सा समय की गर्त में दबा हुआ था. यह आपको केरल की समृद्ध उपनिवेशी धरोहर की सैर कराएगा. यहां असंख्य प्राचीन इमारतें देखने को मिलेंगी. इनमें से कुछ का संबंध भारत के पहले पुर्तगाली व्यापारी वास्को डिगामा के काल से है.

सेंट फ्रांसिस चर्च: इस चर्च का निर्माण पुर्तगालियों ने 1503 ई. में कराया और यह भारत का सबसे पुराना यूरोपियन चर्च है.
सांता क्रूज बासलिका: सेंट फ्रांसिस चर्च के निकट ही सांता क्रूज (पवित्र क्रास) का रोमन कैथोलिक बासलिका स्थित है.

बासलिका का निर्माण पुर्तगालियों ने कराया था. इस चर्च को कैर्थेडल की उपाधि 1558 में पॉप पॉल चतुर्थ ने दी जबकि 1984 में पॉप जॉन द्वितीय ने इसे बासलिका की उपाधि दी. इसका वर्तमान ढांचा 1905 में तैयार किया.

डच महल: इस महल को पुर्तगालियों ने बनवाया था और कोचीन के राजा वीर केरला वर्मा को भेंट किया गया था. लेकिन बाद में इस महल पर डचों का अधिकार हो गया. उन्होंने 1663 में किले की मरम्मत करवाई और इसे नया रूप दिया.

बोलघट्टी महल: बोलघट्टी द्वीप पर स्थित यह महल डच द्वारा बनवाया गया था. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. हालांकि अब इस महल को लक्जरी होटल में तब्दील कर दिया है. यहां एक गोल्फ कोर्स भी है. यह स्थान पिकनिक मनाने के लिए उपयुक्त है.

हिल महल: कोच्चि के राजा द्वारा 19वीं शताब्दी में बनवाये गये इस महल को अब केरल के पुरातत्व विभाग ने संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया है. यहां चित्रकारी, नक्काशी और राज वंश से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं.

मरीन ड्राईव: कोच्चि के समुद्र तट के किनारे बनी यह सड़क पर्यटकों के साथ यहां रहने वाले लोगों को भी खूब भाती है. यहां से समुद्र का नजारा बेहद आकर्षक दिखता है. 140 मीटर लंबी इस सड़क को बहुत अच्छे ढंग से सजाया गया है. इस सड़क को शानगुमस रोड के नाम से भी जाना जाता है.

चेराई बीच: यह यहां का खूबसूरत बीच है जो कोच्चि से 25 किमी. की दूरी पर स्थित है. इस बीच पर नारियल और खजूर के पेड़ों के अलावा पारंपरिक केरल के मकानों को भी देख सकते हैं. साथ ही, इस बीच का आकर्षण है यहां दिखने वाली डॉल्फिन्स.

कलादी: आठवीं शताब्दी के महान दार्शनिक आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि है कलादी. शंकराचार्य की याद में यहां दो मंदिर बने हैं.

छोट्टानिक्कारा मंदिर: केरल के धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध यह मंदिर शक्तिशाली देवी श्रीराजराजेरी का है. इस मंदिर को झाड़-फूंक के लिए भी जाना जाता है. यहां होने वाले वाषिर्क उत्सव में सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं.

क्या करें---


कोच्चि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और तरह-तरह के खूबसूरत स्थल के लिए ही नहीं अपितु अन्य बातों के लिए भी प्रसिद्ध है. आप यहां पर हाउसबोट क्रूज का आनंद उठा सकते हैं. यहां पर्यटकों के लिए छप्पर वाली हाउसबोट उपलब्ध रहती है जिसे ‘केट्टुवल्लम्स’ कहते हैं.

केरल को स्वास्थ्य का पर्याय माना जाता है क्योंकि इसे आयुर्वेद का जन्मस्थान कहा जाता है. यहां की यात्रा तरोताजा कर देने वाले आयुर्वेदिक स्पाज के बिना अधूरी मानी जाएगी.

यहां के तट और वाटर स्पोर्ट्स आपको रिफ्रेश करने के लिए पर्याप्त हैं. इनके अलावा यहां पर्यटन के और भी ढेरों मौके मौजूद हैं.

कब जाएं---

कोच्चि का मौसम वर्ष भर सुहावना रहता है. पारंपरिक रूप से पर्यटन का सीजन सितम्बर से मार्च तक का रहता है क्योंकि इस दौरान पर्यटन विभाग द्वारा यहां विशेष कल्चरल इवेंट्स और सेलिब्रेशंस का आयोजन किया जाता है.

अब केरल इस पारंपरिक कॉन्सेप्ट को पुन: परिभाषित करते हुए टूरिज्म सीजन को आकर्षक थीम के साथ पूरे साल के लिए विस्तृत कर रहा है.

इसी के अंतर्गत ‘मानसून टूरिज्म’ भी शामिल है, जिसमें पर्यटकों को मानसून के जादू का भरपूर आनंद लेने की व्यवस्था के साथ इस मौसम को ‘ड्रीम सीजन’ के नाम से प्रचारित कर रहा है. इस दौरान यहां पर्यटक तरह-तरह की आयुर्वेदिक थैरेपी और कुछ यूनीक थीम हॉलीडेज भी ऑफर करता है.

कैसे पहुंचें---

हवाई मार्ग:


कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (सीआईएएल) कोच्चि शहर से 22 किमी. की दूरी पर स्थित है. इस एयरपोर्ट के लिए विभिन्न इंटरनेशनल के साथ-साथ डोमेस्टिक फ्लाइट्स प्रतिदिन उपलब्ध रहती हैं.

रेल मार्ग:

कोच्चि के लिए तीन मुख्य रेलमार्ग स्टेशन हैं- एर्नेकुलम टाउन स्टेशन, एर्नेकुलम जंक्शन स्टेशन और कोच्चि हार्बर टर्मिनस. यहां के लिए देश के लगभग हर बड़े शहर से रेल सेवा उपलब्ध है.

सड़क मार्ग:

देश के लगभग हर शहर के साथ हाईवे और रोड्स के जरिये कोच्चि जुड़ा हुआ है. एनएच 17 और एनएच 47 इस शहर से गुजरती हैं. यहां के लिए सरकारी और प्राइवेट बसों की दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों और राज्यों से प्रतिदिन सेवाएं उपलब्ध हैं.



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