प्रेगनेंसी से पहले भी डॉक्टर की सलाह है जरूरी
मां बनने का एहसास अनमोल होता है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि प्रेगनेंसी के दौरान कई ऐसी परेशानियां होती हैं जो मां के लिए और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं.
फाइल फोटो |
ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब आपको प्रेगनेंसी से पहले मालूम होने बहुत जरूरी हैं जैसे-प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में कौन से टेस्ट कराने बेहद जरूरी होते हैं? प्रेगनेंसी के पहले यह जानना भी आपके लिए बहुत जरूरी है कि आपका शरीर इसके लिए तैयार है भी या नहीं? समय न्यूज चैनल के कार्यक्रम 'जियो हेल्दी' में ‘सीताराम भारतीय हॉस्पिटल’ की गायनेकोलॉजिस्ट और आईवीएफ हेड डॉ. रेनू मिश्रा ने दिए कुछ टिप्स...
कब और कैसे प्लान करें प्रेगनेंसी :
‘सीताराम भारतीय हॉस्पिटल’ की गायनेकोलॉजिस्ट और आईवीएफ हेड डॉ. रेनू मिश्रा का कहना है कि प्रेगनेंसी हर महिला की जिंदगी का बहुत खास समय होता है. हर महिला चाहती है कि उसकी प्रेगनेंसी ठीक से रहे. मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हों. इसके लिए हर दंपति को प्रेगनेंसी प्लान करने के पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
यदि आपको पहले से है कोई समस्या :
- दूसरे वर्ग में ऐसी महिलाएं आती हैं जिनको किसी प्रकार की बीमारी या परेशानी है. जिन्हें रोज दवाइयां लेनी पड़ती हैं. यदि प्रेगनेंसी से पहले ही ब्लड प्रेशर ज्यादा है, डायबिटीज है, गुर्दे या हृदय संबंधी रोग हैं, दौरे पड़ते हों या फिर थायरॉइड की दवाइयां लेती हैं. ऐसी महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी होता है.
- ऐसी महिलाओं में पहले ये देखा जाता है कि क्या उनका प्रेगनेंट होना उसके लिए ठीक है. ज्यादातर महिलाओं में प्रेगनेंसी की जा सकती है लेकिन उन मामलों में यह देखा जाता है कि वह कौन सी दवाएं ले रही हैं? क्या ये दवाएं बच्चे के लिए सुरक्षित हैं? और क्या प्रेगनेंसी से पहले दवाइयां बदली जा सकती हैं?
- प्रेगनेंसी से पहले हीमोग्लोबिन अच्छा होना भी जरूरी है ताकि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें.
- आजकल एक तरफ अपर्याप्त न्यूट्रिशन तो दूसरी तरफ ओवर न्यूट्रिशन की समस्या भी आम है. खासकर शहरों में देखा जाता है कि महिलाओं का वजन बहुत ज्यादा होता है. प्रेगनेंसी के लिए अधिक वजन अच्छा नहीं है. अगर महिला डॉक्टर से पहले मिले तो डॉक्टर उन्हें वजन कम करने की सलाह देते हैं. ज्यादा वजन होने से प्रेगनेंसी के दौरान परेशानियां जैसे-शुगर बढ़ने, ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है.
- महिला को यदि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्याएं हैं तो जरूरी है कि प्रेगनेंसी से पहले इन्हें नियंत्रित कर लिया जाए. ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं है तो प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर के और बढ़ने की संभावना होती है. ऐसे में प्रेगनेंसी नौ महीने नहीं पहुंचेगी.
स्वस्थ महिलाएं भी मिलें डॉक्टर से :
- इसमें महिलाओं के दो वर्ग हैं-एक वे महिलाएं जो स्वस्थ हैं यानि सामान्य रूप से जिन्हें कोई परेशानी नहीं है. ऐसी महिलाओं को भी डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि कई बार कुछ बीमारियों में लक्षण नहीं दिखते हैं. प्रेगनेंसी से पहले ‘हेपेटाइटिस बी’, ‘एचआईवी’ जैसे टेस्ट करा लेना चाहिए. हालांकि बहुत कम महिलाओं में ये टेस्ट पॉजिटिव निकलते हैं.
- शादी से पहले कुंडली मिलाने से अच्छा है कि लड़का-लड़की का ‘थैलेसीमिया’ टेस्ट कराया जाए. क्योंकि यदि दोनों के रक्त में ‘थैलेसीमिया’ पाया जाए तो बच्चे को मेजर ‘थैलेसीमिया’ होने की पूरी आशंका बनी रहती है. इसलिए यदि शादी से पहले ये टेस्ट नहीं कराए हैं तो प्रेगनेंसी से पहले जरूर कराएं.
- जर्मन मीजल्स एक तरह का इन्फेक्शन है. यदि यह प्रेगनेंसी में हो तो बच्चा विकलांग पैदा हो सकता है. इसके लिए टेस्ट करवाकर टीका लगावाया जा सकता है ताकि इस बीमारी का खतरा टल जाए.
- विटामिन की गोली से ‘फोलिक एसिड’ से बच्चों में विकलांगता कम की जा सकती है. एक गोली अगर महिला प्रेगनेंसी होने से पहले शुरू करे तो उससे बच्चे को बहुत फायदा होता है. इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है.
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