जामुन: फल एक फायदे अनेक
हर मौसमी फल का अपना एक विशेष स्वाद और फायदा होता है. जामुन भी एक ऐसा ही फल है.
जामुन(फाइल फोटो) |
मौसमी फल और मौसमी सब्जियां खाना स्वास्य के लिए लाभप्रद होता है. हमारे देश में कई तरह के मौसमी फल आते हैं.
यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ अनेक रोगों की अचूक दवा भी है. आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य चरक ने अपनी किताब 'चरक संहिता' में वर्णित औषधीय योग 'पुष्यानुग-चूर्ण' में भी जामुन की गुठली मिलाए जाने का विधान है.
यूनानी पद्धति में भी जामुन को अनेक रोगों के लिए फायदेमंद और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा बताया है. चरक के ग्रंथ में जामुन के पूरे पौधे के उपयोग बताए गए हैं. जामुन की छाल, पत्ते, फल, गुठिलयां और जड़ आदि सभी आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में काम आते हैं.
इस मौसम में जामुन खाने से होने वाले फायदों व इसके उपयोगों के बारे में यहां कुछ अहम जानकारियां दी जा रही हैं.
जामुन का सेवन डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है. इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे रक्त में शुगर का स्तर नियंत्रित होता है. साथ ही, यह डायबिटीज के मरीजों को बार-बार प्यास लगने व अधिक बार यूरीन पास होने की समस्या में भी मददगार है.
जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से डायबिटीज के रोगियों को लाभ होता है. गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है. इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है.
जामुन में कई प्रकार के मिनरल्स, जैसे कैल्शियम, आयरन और विटामिन सी अच्छी मात्रा में होते हैं. इसलिए यह हड्डियों के लिए फायदेमंद तो है ही, साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है. जिन लोगों को खून की कमी है, उनके लिए जामुन का सेवन संजीवनी बूटी की तरह ही है.
विशेषज्ञों की राय है कि इसके नियमित सेवन से खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ जाता है. जामुन के रस के नियमित सेवन से बाल लंबी उम्र तक काले बने रहते हैं.
जामुन खाने से कब्ज दूर होता है व एसिडिटी की समस्या में भी राहत मिलती है. गले के रोगों में जामुन बहुत उपयोगी है.
इसकी छाल को बारीक पीसकर पाउडर बना लें. इस पाउडर को पानी में घोलकर माउथ वॉश की तरह गरारे करना चाहिए. इससे गला तो साफ होगा ही, सांस की दुर्गध भी दूर हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारियां भी नहीं होंगी.
जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस निकालकर उसमें ढाई किलोग्राम चीनी मिलाकर शर्बत जैसी चाशनी बना लें. इसे एक ढक्कनदार साफ बोतल में भरकर रख लें. जब कभी उल्टी-दस्त या हैजा जैसी बीमारी की शिकायत हो, तब दो चम्मच शर्बत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिएं तुरंत राहत मिल जाएगी.
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