G20: PM मोदी ने उठाया भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर कार्रवाई का मुद्दा, पेश किए 9 सुत्रिए एजेंडा
जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने वित्तीय अपराध को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया और इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 9 सुत्रिए एजेंडा दुनिया के सामने रखा.
PM मोदी ने भगोड़े अपराधियों पर उठाया कार्रवाई का मुद्दा |
भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि अंतर सरकारी निकाय वित्तीय कार्य टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को आर्थिक भगोडे अपराधियों की मानक परिभाषा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए और ऐसे अपराधियों की पहचान, प्रत्यर्पण और उनसे निपटने की कानूनी प्रकियाओं के बारे में आमतौर पर एक आम सहमति एवं मानकीकृत प्रक्रिया होनी चाहिए।
भारत ने जी -20 देशों के शिखर सम्मेलन में आर्थिक अपराधों और परिसंपत्ति बरामदगी के बारे में अपने नौ सूत्री सुझावो में कहा है कि आर्थिक अपराधो को अंजाम देने वाले भगोडे अपराधियों से निपटने के लिए जी -20 देशों में एक मजबूत और सक्रिय सहयोग होना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ को जी -20 देशों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के अलावा भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने, उनकी पहचान, प्रत्यर्पण और न्यायिक
कार्यवाही से संबंधित सामान्य रूप से सहमत और मानकीकृत प्रक्रियाओं को भी विकसित करना चाहिए।
इन सुझावों में कहा गया है कि सभी देशों को कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग करने, ऐसे अपराधियों के जल्द प्रत्यर्पण को सुनिश्चित करने की प्रकिया को सुव्यवस्थित करना चाहिए।
इसके अलावा जी -20 देशों को संयुक्त रूप से एक ऐसा तंत्र बनाना है जो सभी भगोड़े आर्थिक अपराधियों को प्रवेश और उन्हें शरण देने से इनकार करे। इसमें यह भी कहा गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के सिंद्धातों(यूएनसीएसी), अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधिपा(यूएनओटीसी) जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बारे
में है, उसे पूरी तरह और प्रभावी तरीके से लागू करना चाहिए।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि एफएटीएफ को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करने को पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए ताकि सक्षम प्राधिकरणों और वित्तीय खुफिया इकाइयों (एफआईयू) के बीच सूचनाओं के सही समय पर और व्यापक स्तर पर आदान प्रदान हो सके।
शिखर सम्मेलन में यह भी कहा गया कि अनुभवों और सर्वोत्तम प्रकियाओं को साझा करने के लिए एक सामान्य मंच होना चाहिए जिसमें प्रत्यर्पण के सफल मामलों, प्रत्यर्पण की
मौजूदा प्रणालियों में अंतर और कानूनी सहायता आदि पर बातचीत की जा सके।
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