UN में सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी, बोलीं- हमने IIT, IIM, AIMS बनाए पाक ने आतंकी अड्डे
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार रात संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के वजीरेआजम शाहिद खाकान अब्बासी के आरोपों का करारा जवाब दिया.
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करती हुईं भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज. |
उन्होंने पाकिस्तान को अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत देते हुए कहा ‘भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए. तो देख लो भारत आज आईटी सुपर पॉवर है जबकि पाकिस्तान की पहचान दहशतगर्द की है.
उन्होंने अपने बहुत असरअंदाज लहजे में कहा कि जब पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम अब्बासी यहां हम पर स्टेट स्पांसर टेररिज्म का इल्जाम लगा रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग... सुषमा ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया. लेकिन पाकिस्तान बताए कि उसने कहानी बदरंग क्यों की? पाकिस्तानी हुक्काम जरा विचार करें कि भारत ने आईआईटी, आईआईएम, एम्स व इसरो बनाए. लेकिन आपने क्या बनाया? पाकिस्तान वालों ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी और हिज्बुल-मुजाहिदीन जैसे संगठन बनाए.
हम गरीबी से लड़ रहे हैं पाक हमसे लड़ रहा है
सुषमा स्वराज ने मोदी सरकार के गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्किरण के लिए शुरू की गई योजनाओं की जोरदार ढंग से जानकारी देने के बाद पाकिस्तान पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं. लेकिन हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है. परसों इसी मंच से बोलते हुए पाक के वजीर-ए-आजम ने भारत पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए. हम पर स्टेट स्पांर्सड टैररिज्म फैलाने का आरोप लगाया. जब वे बोल रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग. जो आतंक के जरिए सैकड़ों लोगों का खून बहा चुका है, वो हमें पाठ पढ़ा रहा था.’
बातचीत का सिलसिला क्यों नहीं बढ़ा, इसके लिए आप जवाबदेह
विदेश मंत्री ने कहा, ‘9 दिसम्बर 2015 को हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में जब मैं इस्लामाबाद गई तो नए सिरे से कॉम्प्रिहेंसिव बायलैटरल डायलॉग शुरू करने की बात हुई थी. बायलैटरल शब्द जानबूझकर डाला गया था. लेकिन वो सिलसिला आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके जवाबदेह आप हैं अब्बासी साहब मैं नहीं.’
भारत की पहचान आईटी सुपरपावर की
सुषमा ने कहा, ‘भारत-पाक एकसाथ आजाद हुए थे. लेकिन अब्बासी साहब! (पाक पीएम), क्या आपने सोचा कि भारत की पहचान आज दुनिया में आईटी सुपरपावर के रूप में बनी. लेकिन पाक की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है. इसकी एक ही वजह है कि भारत ने पाक की आतंकवाद की चुनौतियों का सामना करते हुए भी अंदरूनी विकास की गति नहीं रोकी.’ सुषमा ने कहा, ‘भारत ने आईआईटी, आईआईएम, एम्स बनाए. लेकिन आपने क्या बनाया? पाकिस्तान वालों ने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, हिज्बुल-मुजाहिदीन बनाया. हक्कानी नेटवर्क खड़ा किया, आतंकी ठिकाने और टेररिस्ट कैम्प बनाए. हमने स्कॉलर्स, साइंटिस्ट, इंजीनियर्स पैदा किए. पाकिस्तान वालो! आपने दहशतगर्द और आतंकवादी पैदा किए. डॉक्टर्स लोगों को बचाते हैं और जिहादी मार डालते हैं. आपके जिहादी हमें ही नहीं अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भी मार रहे हैं.’
आतंकियों की मदद की बजाय मुल्क का विकास करो
सुषमा स्वराज ने कहा, ‘मैं कहना चाहूंगी कि पाकिस्तान वालों जो पैसा आतंकियों की मदद के लिए खर्च कर रहे हो, उसे अवाम और मुल्क की तरक्की के लिए करो तो दुनिया का आतंकवाद से पीछा छूट जाएगा और आपके मुल्क का विकास हो सकेगा.’
मोदी ने हाथ बढ़ाया, लेकिन कहानी आपने बदरंग की
सुषमा स्वराज ने कहा, ‘मैं याद दिलाना चाहती हूं कि जिन्ना ने दोस्ती की विरासत दी या नहीं दी, ये तो इतिहास जानता है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाया. लेकिन कहानी बदरंग किसने की, ये आप बताएं. पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रस्तावों को बार बार उठाने पर कहा, ‘क्या पाक को याद नहीं कि शिमला समझौते के तहत दोनों देशों ने तय किया था हम किसी तीसरे का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे. पाकिस्तान के सियासतदानों को याद तो सबकुछ है लेकिन वे उसे भूल जाने का नाटक करते हैं.’
आतंकवाद को अलग-अलग नजरिए से देखना बंद करें
सुषमा स्वराज ने कहा, आतंकवाद पर विश्व समुदाय के नजरिए के बारे में बोलते हुए कहा, ‘आज विश्व जिन समस्याओं का समाधान ढूंढ रहा है, उनमें अहम आतंकवाद है. पहले विश्व के देश इसे कानून व्यवस्था का मामला कहकर टाल देते थे. आज सब चर्चा कर रहे हैं. इस विषय पर हमें आत्मावलोकन करने की जरूरत है. हम जब भी ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी करते हैं तो आतंकवाद से लड़ने की कसम खाते हैं. लेकिन, ये निभाने वाली रसम बन गई है. संकल्प निभाने का वक्त आता है तो कुछ देश अपने फायदे को आगे रखते हैं.’
.. तो हम आतंक से कैसे लड़ेंगे
1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित सीसीआईटी पर आज तक यूएन सहमत नहीं हो पाया. आतंकवाद की परिभाषा पर एकराय नहीं बन पाई. मेरे और तेरे आतंकवादी की दृष्टि अलग हो जाएगी तो मिलकर कैसे लड़ेंगे. किसी टेररिस्ट की लिस्टिंग पर मतभेद होगा, तो हम कैसे लड़ेंगे. अलग-अलग नजरिए से आतंकवाद को देखना बंद करें. एक नजरिया करें और ये स्वीकार करें कि आतंकवाद सबके लिए खतरा हैं. अगर हम लड़ने का संकल्प करें तो उसे मानें और अमली जामा पहनाएं. सीसीआईटी को पारित करे दें.’
► ‘यूएन में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेमिसाल स्पीच. उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत को फख्र महसूस कराया. सुषमा ने विश्व के संकटों को पहचानने में पैनी दृष्टि का इस्तेमाल किया और बार-बार भारत का वो दृढ़निश्चय दोहराया, जिसमें हम विश्व को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं. ’ - नरेंद्र मोदी
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