भारत का परमाणु कार्यक्रम चीन पर केंद्रित : विशेषज्ञ
अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा विवादों पर चीन के साथ भारत के कड़वे रिश्तों को देखते हुए भारत के परमाणु आधुनिकीकरण कार्यक्रम से संकेत मिलते हैं कि भविष्य में अब उसका सारा ध्यान चीन के साथ सामरिक संबंधों को लेकर ही रहेगा.
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जर्नल ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट’ में अमेरिकी विशेषज्ञों हंस एम क्रिस्टेंसेन और रॉबर्ट एस नूरिस ने कहा कि पारंपरिक तौर पर भारत की परमाणु रणनीति शुरू से ही पाकिस्तान पर केंद्रित रही है, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह चीन पर ध्यान केंद्रित करने पर ज्यादा जोर दे रहा है.
क्रिस्टेंसेन फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट में परमाणु सूचना परियोजना के निदेशक हैं और रॉबर्ट एस नूरिस वा¨शगटन डीसी में फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के वरिष्ठ सदस्य हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन से मार करने वाली चार मौजूदा परमाणु क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलों के अलावा भारतीय वैज्ञानिक दो अन्य लम्बी दूरी तक मारक क्षमता वाली मिसाइलों अग्नि-4 और अग्नि-5 पर काम कर रहे हैं.
अग्नि-4 मिसाइल पूर्वोत्तर भारत से चीन के सभी ठिकानों (बीजिंग और शंघाई) को निशाना बनाने में सक्षम होगा, लेकिन वैज्ञानिक तीन चरणों वाली, ठोस ईंधन, रेल-मोबाइल ,लंबी दूरी की मारक क्षमता युक्त अग्नि-5 इंटरकान्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के विकास पर काम कर रहे है जो 5000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है.
इस रिपोर्ट-इंडियन न्यूक्लियर फोर्सेज 2017- में कहा गया है कि भारत ने 150 से 200 परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त मात्रा में प्लूटोनियम का उत्पादन कर लिया है और अभी तक 120 से 130 परमाणु हथियार बनाए जाने की संभावना है.
यह भी कहा गया है कि परमाणु हथियार विकसित करने के लिए और प्लूटोनियम की आवश्यकता पड़ेगी और भारत दो नए प्लूटोनियम आधारित संयंत्रों को बना रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अभी तक परंपरागत रूप से अपना सारा ध्यान पाकिस्तान से मिलने वाली सैन्य चुनौतियों पर ही केन्द्रित करता रहा था.
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