दशकों पुरानी नीति तोड़ ट्रम्प ने की ताइवान की राष्ट्रपति से बात, चीन के साथ तल्खी का जोखिम

Last Updated 03 Dec 2016 02:04:23 PM IST

अमेरिका की दशकों पुरानी राजनयिक नीति को तोड़ते हुए इसके नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ताइवान की राष्ट्रपति त्साइ इंग-वेन से बात की और कई मुद्दों पर उनके साथ चर्चा की. यह कदम चीन को आक्रोशित कर सकता है.


अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (फाइल फोटो)

ट्रंप के सत्ता हस्तांतरण दल ने फोन पर हुई बातचीत जानकारी देते हुए हुए एक रीडआउट में शुक्रवार को कहा, ‘‘नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन से बात की जिन्होंने उन्हें (ट्रम्प को) बधाई दी.’’

इसके अनुसार, ‘‘चर्चा के दौरान उन्होंने करीबी अर्थव्यवस्था, राजनीतिक और अमेरिका एवं ताइवान के बीच मौजूद सुरक्षा संबंधों का उल्लेख किया.’’

ताइवान की राष्ट्रपति के साथ ट्रम्प की शुक्रवार को हुई ये बातचीत अपना कार्यकाल संभालने से पहले एशियाई देशों के नेताओं के साथ उनकी फोन पर बातचीत की श्रृंखला का ही हिस्सा हैं.

इसके अनुसार, ‘‘नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस साल के शुरू में ताइवान की राष्ट्रपति बनने पर साई को बधाई दी.’’

ट्रम्प ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से भी बात की और उनकी ऐतिहासिक जीत पर उन्हें बधाई दी.

राष्ट्रपति के सत्ता हस्तांतरण दल ने बताया, ‘‘उन्होंने दोनों देशों के सम्मुख आतंकवाद के गंभीर खतरों पर चर्चा की और इन बढ़ते खतरों से मुकाबले के लिए एकसाथ काम करने का संकल्प लिया.’’

इसके अलावा ट्रम्प ने फिलिपीन के राष्ट्रपति रोद्रिगो रोवा दुतेत्रे से भी फोन पर बात की जिन्होंने ट्रम्प को राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई दी. अपनी बातचीत में उन्होंने मित्रता के लंबे इतिहास और दोनों देशों के बीच सहयोग का उल्लेख किया और साझा हितों एवं चिंताओं के मामलों पर लगातार करीब से काम करने पर सहमत हुए.

सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने भी ट्रम्प की उल्लेखनीय चुनावी जीत पर उन्हें बधाई दी.

इसके अनुसार, ‘‘दोनों नेताओं ने बेहतर आर्थिक, राजनीतिक के लंबे इतिहास और अमेरिका एवं सिंगापुर के बीच सुरक्षा संबंधों पर चर्चा की.’’

‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने कहा कि ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल के शुरू होने से पहले उनका यह कदम ‘‘लगभग चार दशक से चल रही अमेरिका की राजनयिक गतिविधियों को आश्चर्यजनक रूप से तोड़ने वाला है जो चीन के साथ तल्खी बढ़ा सकता है.’’

यह पहला मौका है जब 1979 के बाद से अमेरिका के किसी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति या राष्ट्रपति ने ताइवान के नेता से बात की है.

‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने इस कदम को चीन के साथ ट्रम्प प्रशासन के रिश्ते में जटिलता पैदा करने वाला बताते हुए इसे ‘राजनयिक प्राटोकॉल का उल्लंघन’ बताया है.

‘सीएनएन’ ने कहा, ‘‘ये टेलीफोन कॉल निश्चित रूप से चीन को आक्रोशित करने वाले हैं क्योंकि चीन ताइवान को एक विासघाती प्रांत मानता है. ट्रम्प ने यह संकल्प लिया था कि वह दुनिया के बाकी देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में अप्रत्याशित तब्दीली लाएंगे और यह उनके इसी संकल्प का अहम संकेत है.’’

ट्रम्प के इस कदम पर अमेरिकी कांग्रेस में बिखराव दिखाई देता है.

डेमोक्रेटिक नेशनल कमिटी :डीएनसी: ने इन फोन कॉल को ‘मूखर्तापूर्ण’ बताया है, जबकि रिपब्लिकन सांसदों ने इसे एक साहसिक कदम बताया है.

बहरहाल, फोन किए जाने तक व्हाइट हाउस इससे अनजान था. व्हाइट हाउस ने कहा कि इसका अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही ‘एक-चीन’ नीति पर असर पड़ने की संभावना नहीं है.

व्हाइट हाउस में नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि चीन-ताइवान के मुद्दों पर लंबे समय से चली आ रही हमारी नीति में कुछ नहीं बदला है. तीन संयुक्त विज्ञप्तियों और ‘ताइवान रिलेशंस एक्ट’ पर आधारित हमारी ‘एक चीन’ नीति पर हम दृढ़ता से प्रतिबद्ध है.

प्राइस ने कहा, ‘‘जैसा कि राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है कि हम आगामी प्रशासन के लिए सबसे सहज संभावित सत्ता हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. पार्टी की परवाह किए बगैर हर राष्ट्रपति को विशेषज्ञों और इस तरह के मामलों पर विदेश विभाग के सलाहकारों से लाभ मिलता है.’’

सीनेटर क्रिस मर्फी ने कहा, ‘‘इससे (फोन कॉल से) यह पता चलता है कि हम वाकई में एक दुर्गम मार्ग पर हैं.’’

सीनेटर टॉम कॉटन ने साई इंग-वेन के साथ ट्रम्प की बातचीत की सराहना की.

उन्होंने कहा कि ताइवान चीनी धरती पर एकमात्र लोकतंत्र है.

कॉटन ने कहा, ‘‘ताइवान की राष्ट्रपति त्साई से मैं दो बार मिला हूं. मुझे विश्वास है कि उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के समक्ष अमेरिका के साथ करीबी रिश्ते के लिए वही इच्छा जताई होगी.’’

‘हाउस स्मॉल बिजनेस कमिटी’ के अध्यक्ष अमेरिकी कांग्रेस के सांसद स्टीव शाबोट ने कहा कि उन्हें यह सुनकर बेहद प्रसन्नता हुई कि ट्रम्प ताइवान को फिर से उच्चतम स्तर पर लेकर आए.

उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय से ताइवान चीनी जनगणराज्य की धौंस भरी रणनीति का निशाना बनता रहा है.’’

बहरहाल, डीएनसी के प्रवक्त एरिक वाकर ने आरोप लगाया कि इस तरह के कार्य से ट्रम्प देश के सुरक्षा हित पर अपने निजी हित को प्राथमिकता दे रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘डोनाल्ड ट्रम्प या तो यह समझने में इतने अयोग्य हैं कि इस तरह के मूर्खतापूर्ण फोन हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं या फिर उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया है, क्योंकि ऐसी रिपोर्ट है कि वह अपनी जेब भरने के लिए ताइवान में होटल बनाना चाहते हैं.’’
 

भाषा


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