नेपाल में भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 2400 पहुंची, लोगों में दहशत कायम

Last Updated 26 Apr 2015 08:57:37 PM IST

नेपाल में भारी तबाही लेकर आए भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,400 हो गई है जबकि 6,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.


नेपाल में भूकंप

बचावकर्मी भूकंप से धराशायी हुए मकानों और इमारतों के मलबे के नीचे जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं.
   
भूकंप के दो जबर्दस्त झटके रविवार को फिर आए जिससे लोगों में दहशत पैदा हो गई. रविवार को आए झटकों से माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हुआ. शनिवार को माउंट एवरेस्ट पर हुए हिमस्खलन की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 22 हो गई.
   
रविवार को आए भूकंप के पहले झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.7 मापी गई जबकि दूसरे झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.5 रही. भूकंप के झटके आते ही लोग खुली जगहों की ओर दौड़ पड़े.
    
शनिवार से एक के बाद एक कर आ रहे भूकंप के झटकों के खौफ से लोगों ने खुले आसमान के नीचे सर्द रात बिताई. लोग अब भी अपने घरों में जाने से डर रहे हैं.
   
काठमांडो स्थित नेशनल एमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के पास उपलब्ध ताजा आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2400 हो गई है जबकि 6,239 लोग घायल हुए हैं.
   
अकेले काठमांडो घाटी में 1,053 लोगों के मारे जाने की सूचना है. अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. जीवित बचे लोगों की तलाश जारी है.
   
भारत सहित कई अंतरराष्ट्रीय टीमें राहत और बचाव के काम के लिए नेपाल पहुंच गई हैं. आपदा के बाद नेपाल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है. शनिवार को आए भूकंप को देश के इतिहास में पिछले 80 सालों में आया सबसे भयंकर भूकंप बताया जा रहा है.
    
भारत ने दवाओं, फील्ड अस्पतालों, कंबलों, 50 टन पानी और अन्य सामग्री से लैस 13 सैन्य विमान तैनात कर बड़े पैमाने पर बचाव एवं पुनर्वास की कोशिशें शुरू की हैं.
    
भारत के राष्ट्रीय आपदा राहत बल के 700 से ज्यादा आपदा राहत विशेषज्ञों को तैनात किया गया है.
    
एक वरिष्ठ अंतर-मंत्रालयी टीम नेपाल का दौरा कर यह आकलन करेगी कि भारत बचाव अभियान में कैसे बेहतर तरीके से सहायता कर सकता है.
    
बचावकर्मी अपने हाथों के साथ-साथ भारी उपकरणों से मलबों के नीचे दबे जीवित लोगों की तलाश में जुटे हैं. भूकंप के ताजा झटकों, गरज के साथ छींटे पड़ने, और पर्वत श्रृंखलाओं में हो रही बर्फबारी के कारण बचाव कार्य प्रभावित हुआ है.
    
जब-जब मलबे के नीचे से जीवित बचे लोगों को बाहर निकाला जाता है, लोग काफी खुशी महसूस करते हैं. हालांकि, ज्यादातर ही बाहर निकाले जा रहे लोग मर चुके हैं.
    
भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टरों ने लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पांच संक्षिप्त उड़ाने भरी हैं और घायलों को सैन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
    
सातों महाद्वीपों में सभी उच्चतम चोटियों पर चढ़ने के अभियान में जुटे 54 साल के भारतीय नागरिक अंकुर बहल भी 11 अन्य साथी पर्वतारोहियों के साथ माउंट एवरेस्ट के कैंप-दो में फंसे हुए हैं. बहल के दोस्तों ने नयी दिल्ली से बताया कि वह शनिवार को ही कैंप-एक से कैंप-दो में गए थे लेकिन भूकंप के कारण फंसे हुए हैं.
     
भूकंप और उसके बाद आए झटकों से हर तरफ तबाही का मंजर और मौत का मातम पसरा नजर आ रहा है. काठमांडो स्थित ऐतिहासिक धरहरा मीनार और दरबार चौक सहित कई इमारतें धराशायी हो गई हैं.
    
रविवार के भूकंप के झटकों से जुड़ी शुरूआती खबरों के मुताबिक त्रिशुली पनबिजली परियोजना में एक सुरंग जमींदोज हो गई और करीब 60 श्रमिकों के फंसे होने की आशंका है.
     
हजारों घायलों के इलाज के लिए नेपाल के अस्पतालों को जूझना पड़ रहा है. लोग फर्श पर लेटे देखे जा रहे हैं. कई लोग तो अस्पताल के बाहर इलाज कराने को विवश हैं.
    
खाना और टेंट सहित 43 टन राहत सामग्री और करीब 200 बचावकर्मियों को लेकर भारतीय वायुसेना के विमान रविवार को काठमांडो पहुंचे.     
    
नेपाल सरकार ने क्षतिग्रस्त आधारभूत संरचना के फिर से निर्माण के लिए 50 करोड़ रूपए के कोष की स्थापना की है.
    
बिजली के खंभे गिर जाने और लाइनें कट जाने के कारण पिछले 28 घंटे से देश के ज्यादातर हिस्सों में बिजली नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक ऐसे हालात बने रह सकते हैं.
    
नेपाल में 26 जिले भूकंप से बहुत प्रभावित हुए हैं जबकि देश के सुदूर पश्चिमी हिस्से को सुरक्षित घोषित किया गया है.
    
नेपाल सरकार द्वारा मदद की अपील करने के बाद अमेरिका, यूरोपीय संघ के साथ-साथ कई अन्य देशों ने अपनी आपदा प्रतिक्रिया टीमें रवाना की हैं.
    
बड़ी संख्या में भारतीयों, जिनमें पड़ोसी देश की यात्रा करने वाले कई कर्मी भी शामिल हैं, ने कहा कि उन्हें भोजन और साफ-सफाई जैसे बुनियादी मसलों का सामना करना पड़ रहा है.
    
अधिकारियों ने यहां बताया कि भारतीय दूतावास के एक कर्मी की बेटी सहित पांच भारतीय भूकंप में मारे गए हैं.
    
प्रधानमंत्री सुशील कोइराला के आधिकारिक आवास के पास दो बुलडोजरों ने पूरी तरह धराशायी हो चुकी एक चार मंजिला इमारत के मलबे को साफ किया. एक व्यक्ति ने बताया कि धराशायी हुई इमारत स्थानीय कर कार्यालय था. कार्यालय में मौजूद रहे चार कर्मियों के शव को कुछ देर पहले निकाला गया.
    
अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, पाकिस्तान और यूरोपीय संघ के देशों ने नेपाल की मदद करने का इरादा जाहिर किया है.
    
रेड क्रॉस, ऑक्सफैम, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और क्रिश्चियन एड जैसी कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में अपनी टीमें भेज रही है.

माउंट एवरेस्ट में हिमस्खलन से 22 पर्वतारोहियों की मौत

नेपाल में भीषण भूकंप की वजह से माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के आधार शिविर के पास कम से कम 22 पर्वतारोहियों की मौत हो गयी और 217 अन्य लापता हैं.

शिविर में विदेशियों सहित सैकड़ों पर्वतारोही फंसे हुए हैं.
   
हिमस्खलन की जद में आधार शिविर के आने से वहां 60 से अधिक पर्वतारोही घायल हो गए और सैकड़ों विदेशी पर्वतारोहियों तथा गाइडों के लापता होने की आशंका है. हिमस्खलन की वजह से शिविर का एक हिस्सा शनिवार को बर्फ में दब गया.
   
गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 17 लोग आधार शिविर में मारे गए जबकि शिविर से नीचे के हिस्सों से पांच लोगों के मारे जाने की सूचना है.
   
हादसे के वक्त शिविर में मौजूद गेलू शेरपा ने बताया, ‘‘तंबू उड़ गए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है.’’
   
पर्वतीय क्षेत्र से अभी तक 32 लोगों को बचाया गया है.
   
पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुरेश आचार्य ने कहा कि इन लोगों को पांच बचाव हेलीकॉप्टरों के माध्यम से निकाला गया है.
   
अधिक गंभीर रूप से घायल 22 पर्वतारोहियों को हेलीकॉप्टरों से समीपवर्ती फेरिच गांव ले जाया गया जहां स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है. इन हेलीकॉप्टरों में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी थे. बहरहाल, खराब मौसम की वजह से बचाव एवं राहत अभियानों में बाधा आ रही है. कुछ घायलों को राजधानी भी लाया गया है.
   
आधार शिविर में मौजूद रोमानियाई पर्वतारोही एलेक्स गवान ने अपने ट्विटर पर लिखा, ‘‘गंभीर रूप से घायलों को हेलीकॉप्टर से निकाला गया है. जरूरतमंदों की सेवा कर रहा हूं. सोना चाहता हूं.’’
   
नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि माउंट एवरेस्ट पर आधार शिविर से ऊपर बने दो शिविरों में 100 से अधिक पर्वतारोही थे और उन सभी के सुरक्षित होने की खबर है. उन्होंने बताया कि इन लोगों को वहां से निकालने में समय लगेगा.
   
भारतीय सेना के प्रवक्ता ने बताया कि सेना का एक पर्वतारोही दल भी एवरेस्ट की चढ़ाई कर रहा था जो सुरक्षित है. उन्होंने शनिवार को 13 शवों को बर्फ से बाहर निकालने में मदद की है.
   
इसके अलावा सभी सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे 54 वर्षीय भारतीय पर्वतारोही 11 अन्य पर्वतारोहियों के साथ एवरेस्ट की शिविर संख्या दो में फंसे हुए हैं.
   
मृत पर्वतारोहियों में एक चीनी पर्वतारोही शामिल है जबकि प्रौद्योगिकी फर्म गूगल ने एवरेस्ट पर हुए हिमस्खलन में कैलिफोर्निया के अपने एक अधिकारी डैन फ्रेडिनबर्ग की मौत की पुष्टि की है.
   
पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों का अनुमान है कि शनिवार को जब नेपाल में भूकंप के कारण माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हुआ तब आधार शिविर में 400 विदेशियों सहित कम से कम 1,000 पर्वतारोही थे.
   
हिमालयी देश में बीते 80 साल से अधिक समय में यह सर्वाधिक भीषण भूकंप माना जा रहा है. समीपवर्ती देश भारत और चीन में भी भूकंप महसूस किया गया.
   
गृह मंत्रालय के अनुसार, मृतकों की संख्या 2,200 से अधिक हो गई है. इनमें से 1,000 लोगों की मौत तो अकेले काठमांडो घाटी में हुई है.

फंसे हैं तमिलनाडु के 311 लोग

तमिलनाडु सरकार ने कहा कि राज्य के 311 तीर्थयात्री और पर्यटक भूकंप से प्रभावित नेपाल में फंसे हुए हैं तथा उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

इसके अलावा चेन्नई में ‘‘हेल्प डेस्क’’ की स्थापना की गयी है.
    
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में रविवार को कहा गया कि भूकंप के बाद तमिलनाडु सरकार ने तत्काल यह पता करने के लिए कदम उठाए कि क्या राज्य के लोग नेपाल में फंसे हुए हैं. इसके बाद अब उन्हें निकालने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
    
नेपाल गए पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार 311 लोग वहां फंसे हुए हैं.
    
इसमें कहा गया है कि तमिलनाडु के लोग नेपाल में सुरक्षित हैं और राज्य सरकार ने उनकी सुरक्षित वापसी के लिए सभी उपाय किए हैं. वहां फंसे लोगों के परिजनों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है.
    
नेपाल में फंसे लोगों के परिजन दिल्ली में तमिलनाडु भवन में हेल्प डेस्क की मदद ले सकते हैं. उनके फोन नंबर 011-21493460 और 011-24193456 हैं.
    
वे यहां राहत आयुक्त के कार्यालय में निशुल्क नंबर 1070 पर भी संपर्क कर सकते हैं.
     
सरकार ने कहा कि दिल्ली में तमिलनाडु भवन के अधिकारियों को बचाव कार्य के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. इस संबंध में विदेश मंत्रालय से संपर्क रखने के लिए एक अधिकारी को तैनात किया गया है.
     
दिल्ली हवाई अड्डे पर दो अधिकारियों की तैनाती की गयी है ताकि लौटने वाले लोगों को तमिलनाडु भवन लाया जा सके और फिर राज्य में उनके संबंधित शहरों तक लौटने की व्यवस्था की जा सके.
     
लौटने वाले लोगों को दिल्ली के तमिलनाडु भवन में रूकने और उनकी राज्य में वापसी के लिए सभी व्यवस्था की गयी है.







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