मछुआरों की मौत की सजा पर भारत की चिंताओं को श्रीलंका ने नहीं दी तवज्जो

Last Updated 31 Oct 2014 08:02:18 PM IST

पांच भारतीय मछुआरों को मौत की सजा सुनाए जाने पर भारत की चिंताओं को श्रीलंका ने तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि भारत यहां की कानूनी प्रक्रिया से स्पष्ट रूप से वाकिफ है.


मछुआरों को मौत की सजा (फाइल)

एक सवाल के जवाब में श्रीलंकाई सूचना मंत्री के. रामबुकवेला ने कहा कि भारत श्रीलंका के मौजूदा कानूनों को समझता है.
   
उन्होंने कहा कि गुरुवार के फैसले पर भारत की चिंता श्रीलंका के समक्ष कोई समस्या नहीं पैदा करेगी.
   
गौरतलब है कि तमिलनाडु के रहने वाले पांचों मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने उत्तरी जाफना के पास मादक द्रव्यों की तस्करी करने के आरोप में 2011 में पकड़ा था.
   
रामबुकवेला ने कहा कि दूसरे देश की कानूनी प्रणालियों, संधियों, दोषियों की अदला बदली समझौता को भारत स्पष्ट रूप से जानता है.
   
उन्होंने कहा कि श्रीलंका को भारतीय चिंताओं का कोई मतलब निकालने की जरूरत नहीं है.
   
दरअसल, भारतीय मछुआरों को मौत की सजा सुनाने वाले श्रीलंकाई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करने के भारत के रूख पर उनसे प्रतिक्रिया जाहिर करने को कहा गया था.
   
अदालत के फैसले पर भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की गई थी जिसने इस विषय को श्रीलंका के समक्ष रखा और कहा कि वह 14 दिन के अंदर फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेगा.
   
भारत ने गुरुवार को कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में श्रीलंकाई नौसेना की ओर से 28 नवंबर 2011 को पकड़े गए पांच भारतीय मछुआरों एमरसन, पी ऑगस्टस, आर विल्सन, के. प्रसात, जे लांगलेट ने हमेशा से खुद के बेगुनाह होने की बात कही है.
   
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा है कि भारत सरकार कोलंबो स्थित अपने उच्चायोग और जाफना स्थित अपने वाणिज्य दूतावास के जरिए उन्हें सभी तरह की सहायता मुहैया कर रहा है.
   
अकबरूद्दीन ने कहा कि भारतीय मछुआरों को सभी तरह की सहायता मुहैया करने के लिए भारत सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. भारतीय मछुआरों के वकील 14 दिनों के अंदर ऊपरी अदालत में अपील दायर करेंगे.
   
अदालत के आदेश के चलते गुरुवार को तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में हिंसा भड़क गई. रामेश्वरम और उसके आसपास हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुई क्योंकि काफी संख्या में लोग श्रीलंकाई अदालत के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे.
   
मछुआरों का मुद्दा श्रीलंका और भारत, दोनों देशों के लिए काफी भावनात्मक है, अन्नाद्रमुक और द्रमुक सहित तमिलनाडु की पार्टियां केंद्र पर लगातार इस बात के लिए दबाव डाल रही है कि वह श्रीलंकाई अधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को गंभीरता से उठाए. इन पार्टियों ने अक्सर ही श्रीलंका से आने वाले उच्च स्तरीय अधिकारियों की यात्रा पर नाराजगी जताई है. 
   
श्रीलंका का आरोप है कि भारतीय मछुआरे भटक कर लगातार उसके जल क्षेत्र में आ जाते हैं जिससे उनके स्थानीय मछुआरों की आजीविका छिन जाती है.



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