भारत का जैव हथियार संधिपत्र के क्रियान्वयन पर जोर

Last Updated 26 Oct 2014 04:22:58 AM IST

अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरे की पृष्ठभूमि में भारत ने जैविक हथियार संधिपत्र को मजबूती से लागू करने की जरूरत पर जोर दिया है.


संयुक्त राष्ट्र संघ (फाइल फोटो)

आतंकी और गैर सरकारी तत्व जैविक विषाक्त पदार्थों तक पहुंचने की कोशिश में जुटे हैं.

निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि डी बी वेंकटेश वर्मा ने कहा, \'\'कहीं भी और किसी के भी तरफ से रासायनिक हथियारों के

इस्तेमाल की निंदा होनी चाहिए और रासायनिक हथियारों के प्रयोग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.\'\'

वह \'सामूहिक विनाश के अन्य हथियार\' पर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई चर्चा में भाग ले रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत जैविक हथियार सम्मेलन के

असर को बढ़ाने और इसके क्रियान्वयन को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.

वर्मा ने कहा, \'\'हमारा मानना है कि आतंकी उद्देश्यों के लिए जैविक विषाक्त पदार्थों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे आतंकी या गैर सरकारी तत्वों के साथ ही प्रसार  के रूझान से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए नयी चुनौतियों के मद्देनजर यह जरूरी है.\'\'

सामूहिक विनाश के खास तरह के हथियारों की पूरी तरह से समाप्ति के लिए निरस्त्रीकरण के क्षेत्र में उन्होंने रासायनिक हथियार संधि (सीडब्लूसी) और जैविक हथियार संधि को लेकर भारत की प्रतिबद्धता रेखांकित की.

भारत ने एक बार फिर से पुष्टि की है कि निरस्त्रीकरण रासायनिक हथियार संधिपत्र का पहला लक्ष्य है और जब तक सभी रासायनिक हथियारों को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर दिया जाता, यही प्राथमिकता होनी चाहिए.

वर्मा ने उल्लेख किया कि यह सुनिश्चित करना देशों की जिम्मेदारी है कि संधि के तहत प्रतिबद्धता और कर्तव्य पूरी तरह और असरदार तरीके से लागू किया जाए.

उन्होंने कहा कि रासायनिक, जैविक और विषाक्त पदार्थों पर नियंत्रण के संदर्भ में भारत सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों के पालन के प्रति कटिबद्ध है. पूर्ण सदस्यता चाहने के मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और अन्य निर्यातक शासन समूहों के साथ अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में देश ने महत्वपूर्ण प्रगति की है.

बड़े और बढ़ते हुए रासायनिक उद्योग के साथ भारत घोषित सुविधाओं के लिए दूसरा सबसे बड़ा देश है.

रासायनिक हथियार रोकथाम संगठन (ओपीसीडब्लू) की ओर से भारत में सबसे बड़ा निरीक्षण हो चुका है और भारत में पुष्टि के लिये की जाने वाली जांच का रिकार्ड \'निष्कलंक\' रहा है.



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