नेतृत्व

Last Updated 29 Aug 2016 04:30:57 AM IST

संसार में दो तरह के लोग होते हैं. एक वे होते हैं, जो किसी के बनाए मार्ग पर चलते हैं. दूसरे वैसे लोग होते हैं, जो अपना मार्ग स्वयं बनाते हैं.


सुदर्शन महाराज (फाइल फोटो)

हमारे देश में ऐसे अनेक महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने किसी का अनुकरण नहीं किया, उन्होंने अपना मार्ग स्वयं बनाया. इसलिए मैं बच्चों को परामर्श देता हूं कि- बड़ों का अनुकरण नहीं, उनका नेतृत्व करो. अनुकरण करने वाला व्यक्ति कभी इतिहास पुरुष नहीं बनता. आज इस देश को ऐसे बच्चों की आवश्यकता है जो अपने कार्यों, विचारों और संस्कारों से समाज का नेतृत्व कर सके. कृष्ण ने गीता में अठारह अध्याय का उपदेश दिया.

अब ऐसे कृष्ण की आवश्यकता है, जो एक और गीता लिख सके. वही व्यक्ति राष्ट्रपुरुष बन सकता है. ऐसे व्यक्ति समाज में तभी पैदा होंगे, जब शुरू से हम अपने बच्चों को जीवन से प्यार करना सिखाएं. जीवन से हताश, निराश और दुखी व्यक्ति कभी कोई सफलता प्राप्त नहीं करता. हमेशा प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफलता प्राप्त करता है. जो लोग हिमालय के शिखर पर चढ़ते हैं, समुद्र की गहराई मापते हैं, चांद-तारों की यात्रा करते हैं, वे लोग भी मनुष्य ही हैं. लेकिन वे अपने जीवन से प्रेम करते हैं. उनके जीवन में आकषर्ण है. तभी वे इतने बड़े-बड़े काम पूरा करते हैं.



आज समाज में वैसे ही लोगों की आवश्यकता है, जो इतिहास बना सके. जो वीर पुरुष होते हैं, वही अपने कदमों की निशां बनाते हैं और जो व्यक्ति असंभव काम को भी पूरा कर लेता है, वही व्यक्ति राष्ट्रपुरुष बनता है. लेकिन ऐसा वही कर सकता है, जिसको अपने जीवन से मोह हो, इसलिए हमें अपने जीवन से प्रेम करना सीखना चाहिए. तभी हमारा जीवन सफल माना जाएगा. अंत: ध्यान रखना चाहिए कि- दस्तक भविष्य के द्वार पर तुम्हें ही देना है, अपने कदमों की आहट से इतिहास नया बनाना है.

बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि जो व्यक्ति, जीवन में शीर्ष स्थान पाना चाहता है, उसे अपना मार्ग स्वयं बनाना पड़ता है. शायद इसलिए कहा गया है कि महापुरुष अपने कदमों की निशां स्वयं बनाते हैं. इसलिए प्रत्येक शख्स को अपना मार्ग स्वयं बनाना पड़ता है. नदी जब हिमालय से चलती है, तो वह स्वयं अपना मार्ग बनाती चलती है. इसलिए मनुष्य को अपना कर्म और दायित्व स्वयं निर्धारित करना चाहिए और उसी पर चलना चाहिए. यही जीवन जीने की कला है, क्योंकि जब जीवन हमारा है, तो इसका संरक्षण और विकास हमें खुद करना होगा.

 

 

सुदर्शन महाराज
धर्माचार्य


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