संतुलन
भारत में गर्मिंयों का आगमन हो गया है. अभी एक-दो दिन की बात जाने दें तो अप्रैल पूरा और मई की शुरुआत ही भयंकर गर्मी से हुई है.
जग्गी वासुदेव |
यह इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि दुनिया में गर्मी बढ़ने जा रही है और इसका मतलब सिर्फ तापमान से नहीं है. जब दुनिया में सब कुछ बढ़ रहा हो, तो हमारे जीवन में सबसे अहम चीज होती है, संतुलन. यह जानना बहुत जरूरी है कि चाहे बाहरी हालात कुछ भी हों, हम स्थिर, केंद्रित, शांत और संतुलित कैसे रह सकते हैं.
विज्ञान और तकनीक ने हमें निर्माण और विनाश की ऐसी क्षमता दी है, जैसी पहले कभी नहीं रही थी.
अगर हम इस क्षमता को एक रचनात्मक संभावना में बदलना चाहते हैं, तो यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हम किस तरह के इंसान बनाते हैं. अब तक, हम अपने आस-पास चीजों को बनाने में व्यस्त रहे हैं. पिछले सौ सालों में इंसानों ने धरती पर इतनी सारी चीजें बनाई हैं, जो पिछली पीढ़ियों ने 10,000 सालों में नहीं बनाई थीं. उसने हर तरह की उपयोगी और गैर जरूरी चीजें बनाई हैं. आज इंसानों के पास जैसी शक्ति और क्षमता है, उसे देखते हुए संतुलित रहना सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है.
संतुलित और शांत होने का मतलब मरने की हद तक गंभीर होना नहीं है. अच्छे इरादों वाले गंभीर लोग सबसे खतरनाक इंसान बन सकते हैं. जो लोग मानते हैं कि वे ईश्वर के आदेश पर काम कर रहे हैं, वे धरती पर सबसे भयावह चीजें करते हैं और सोचते हैं कि वे सबसे बड़ी सेवा कर रहे हैं.
आध्यात्मिक मार्ग पर चलते समय आपको बुरी तरह गंभीर नहीं होना चाहिए. तीव्रता एक अलग चीज होती है, तनावपूर्ण होना अलग चीज. तीव्रता से आप केंद्रित होते हैं. तनाव से ध्यान बंटता है. जब आप तीव्र और गहन हों, पर साथ ही आपके अंदर सब कुछ शांत, आसान और सहज हो, तब आपके अंदर जो जीवन है, उसे आपके और हर किसी के फायदे के लिए बेहतरीन रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
जीवन में यही चीज सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. हमसे पहले किसी और पीढ़ी ने इतनी चीजों की कल्पना नहीं की थी, जो आज हमारे लिए सामान्य चीजें हैं. मसलन, जो व्यक्ति यहां मौजूद नहीं है, उससे बात करना पहले के जमाने में चमत्कारी चीज होती. अगर सौ साल पहले, आप सौ मील दूर किसी व्यक्ति से कुछ बातें कर पाते, तो आपको संदेशवाहक, पुत्र या खुद ईश्वर समझा जाता. आज हम कोई भी संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचा सकते हैं.
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