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आज का युवा महत्वाकांक्षी है और करियर की खातिर वह ऊंची से ऊंची डिग्री प्राप्त करता है ताकि उसे हैंडसम सैलेरी मिले. लेकिन उसके चाहने मात्र से उसकी ख्वाहिश पूरी नहीं होती क्योंकि उसे मोलभाव करने की कला नहीं आती. यही कारण है कि एम्प्लायर जो भी ऑफर देता है, वह उसे स्वीकार कर लेता है. जिन युवाओं को मोलभाव करना आता है, वे चंद ही वर्षों में कहां से कहां पहुंच जाते हैं. ऐसे युवा एक कंपनी को छोड़कर दूसरी कंपनी में जाते रहते हैं. कंपनियां भी उनकी योग्यता और अनुभव को देखते हुए उन्हें ऊंचे पैकेज पर अपने यहां रख लेती हैं. ये वे युवा हैं जो अपनी शर्तों पर नौकरी करते हैं यानी हर बार अधिक पैकेज की शर्त. वैभव ने एमबीए किया है. तीन साल पहले जब वह एक कंपनी में इंटरव्यू देने गया तो कंपनी ने उसके सामने 5 लाख सालाना पैकेज का प्रस्ताव रखा. उसने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की बजाय अपनी तरफ से 7 लाख का प्रस्ताव कंपनी को दिया. अंत में 6 लाख के पैकेज पर मामला तय हुआ.