सभ्यता-संस्कृति से जुड़े लकड़ी के खिलौने

सभ्यता-संस्कृति को जिंदा रखने के लिये अब भी बनते हैं लकड़ी के खिलौने

आजादी के समय पाकिस्तान से भारत में विस्थापित होकर आए अस्सी साल के दर्शन सिंह ने कहा, ‘‘इस व्यवसाय से मेरा व्यक्तिगत खर्च भी नहीं निकल पाता है. मैं खिलौने बनाता हूं. लोगों को इसका पता है. जिनको मर्जी होती है वह खरीद कर ले जाते हैं’’. सिंह ने कहा, ‘‘प्लास्टिक का खिलौना जहरीला होता है. चीन से हमारे यहां के लोग खिलौने खरीद कर ले आते हैं. उसमें अलग-अलग प्रकार के रसायनों का इस्तेमाल होता है. वह हमारे बच्चों के न केवल बौद्धिक विकास पर असर डालता बल्कि उन्हें हिंसक भी बनाता है’’.

 
 
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