जानिए, क्यों मनाया जाता है कुम्भ

PICS: जानिए, क्यों मनाया जाता है कुम्भ और क्या है इसकी महत्ता

वाल्मीकि रामायण के अनुसार माघ के महीने में त्रिवेणी संगम स्नान का यह रोचक प्रसंग कुम्भ के समय साकार होता है। साधु-संत प्रात:काल संगम स्नान करके कथा कहते हुए ईश्वर के विभिन्न स्वरूपों और तत्वों की विस्तार से चर्चा करते हैं। कुम्भ भारतीय संस्कृति का महापर्व है और इस पर्व पर स्नान दान ज्ञान मंथन के साथ ही अमृत प्राप्ति की बात भी कही गई है। कुम्भ का बौद्धिक पौराणिक ज्योतिषी के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार भी है। भारतीय संस्कृति की के आदि ग्रंथ है इसका वर्णन वेदों में भी मिलता है। प्रयागराज की महत्ता वेदों और पुराणों में विस्तार बताई गई है। एक बार शेषनाग से ऋषिवर ने भी यही प्रश्न किया था कि प्रयागराज को तीर्थराज क्यों कहा जाता है। इस पर शेषनाग ने उत्तर दिया कि एक ऐसा अवसर आया जब सभी तीर्थों की श्रेष्ठता की तुलना की जाने लगी उस समय भारत में समस्त तीर्थों को तुला के एक पलड़े पर रखा गया और प्रयागराज को दूसरे पलड़े पर फिर भी प्रयागराज का पलड़ा भारी पड़ गया। दूसरी बार सप्तपुरियों को एक पलड़े में रखा गया और प्रयागराज को दूसरे पलड़े पर वहां भी प्रयागराज वाला पलड़ा भारी रहा। इस प्रकार प्रयागराज की प्रधानता सिद्धि और इसे तीर्थों का राजा कहा जाने लगा इस पावन क्षेत्र में दान-पुण्य, कर्म, यज्ञ आदि के साथ-साथ त्रिवेणी संगम का अतिमहत्वपूर्ण महत्व है।

 
 
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