बाजार में प्यार का उपहार

 बाजार में प्यार का उपहार

प्यार में भावनात्मक लगाव और आपसी जुड़ाव हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है. प्रेम का यह स्टाइल हमारी संस्कृति के उस भाव से मेल नहीं खाता, जिसमें प्रेम को प्रकृति से जोड़कर देखा गया है. हमारे यहां प्रेम दर्शाने का कोई दिन निश्चित नहीं है क्योंकि प्यार को आत्मीय अनुभूति माना गया है. प्यार यूं भी किसी दिन और तारीख तक नहीं समेटा जा सकता. जब प्रेम समर्पण का भाव लिए हो तभी सार्थकता पाता है.

 
 
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