- पहला पन्ना
- लाइफस्टाइल
- यहां खौलते तेल के कड़ाह में कूद जाते थे राजा कर्ण

माता ने दोनों चीज देने के बाद वहां रखे कड़ाह को उलट दिया और उसी के अंदर विराजमान हो गईं. मान्यता है कि अमृत कलश नहीं रहने के कारण मां राजा कर्ण को दोबारा जीवित नहीं कर सकती थीं. इसके बाद से अभी तक कड़ाह उलटा हुआ है और उसी के अंदर माता की पूजा होती है. आज भी इस मंदिर में पूजा के पहले लोग विक्रमादित्य का नाम लेते हैं और फिर चंडिका मां का. मां के विशाल मंदिर परिसर में काल भैरव, शिव परिवार और भी कई देवी- देवताओं के मंदिर हैं जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं.
Don't Miss