यहां खौलते तेल के कड़ाह में कूद जाते थे राजा कर्ण

मां चंडिका स्थान: यहां खौलते तेल के कड़ाह में कूद जाते थे राजा कर्ण, पढ़ें रोचक कथा

उन्होंने देखा कि महाराजा कर्ण ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान कर चंडिका स्थान स्थित खौलते तेल के कड़ाह में कूद जाते हैं और बाद में माता उनके अस्थि-पंजर पर अमृत छिड़क उन्हें पुन: जीवित कर देती हैं और उन्हें पुरस्कार स्वरूप सवा मन सोना देती हैं. एक दिन चुपके से राजा कर्ण से पहले राजा विक्रमादित्य वहां पहुंच गए. कड़ाह में कूदने के बाद उन्हें माता ने जीवित कर दिया. उन्होंने लगातार तीन बार कड़ाह में कूदकर अपना शरीर समाप्त किया और माता ने उन्हें जीवित कर दिया. चौथी बार माता ने उन्हें रोका और वर मांगने को कहा. इस पर राजा विक्रमादित्य ने माता से सोना देने वाला थैला और अमृत कलश मांग लिया.

 
 
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