गणेशोत्सव

 इस सप्ताह के तीज-त्योहार

दो सितम्बर के दिन राधाष्टमी है. मान्यता है कि इसी दिन राधा का जन्म हुआ है. वेदों और पुराणों के अनुसार, राधाजी को कृष्ण वल्लभ के रूप में भी जाना जाता है. भगवान कृष्ण राधाजी पर प्रति असीम लगाव जताते रहे हैं. मान्यता है कि राधा जन्माष्टमी की कथा सुनने के साथ ही हमारी कई समस्याएं खत्म हो जाती हैं. राधा मंत्र जपने से हमें मुक्ति प्राप्त होती है. राधा, भगवान कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त, संपूर्ण सत्य का नारी पक्ष और कृष्ण की आध्यात्मिक ऊर्जा का मानवीकरण थीं. नर और नारी के पहलुओं का सर्वोच्च सत्य और उनका प्रतीक राधा-कृष्ण के मिलन में माना गया है. सूर्य और उसकी किरणों की तरह राधा-कृष्ण का मिलन हमें अर्थ देता है. विष्णु और लक्ष्मी, राम और सीता, राधा और कृष्ण का साथ-साथ दिखना नर और नारी के पहलुओं की सर्वोच्च व्यवस्था है. राधाष्टमी पर व्रत रखने की परंपरा है. पंचामृत से राधाजी की मूर्ति का स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार करना चाहिए. सामथ्र्यभर चांदी या सोने से श्रंगार करें. इसके बाद संपूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ उनकी आरती और पूजा करते हुए मूर्ति के सामने धूप और दीप जलायें. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस अवसर पर भगवान कृष्ण और राधा की साथ-साथ पूजा करनी चाहिए. इस दिन 27 अलग-अलग कुंओं से पानी और 27 वृक्षों की पत्तियां लेकर मंदिर में जाकर दूध, दही, घी और बूरा से पूजा करनी चाहिए. राधाजी की पूजा करने के दौरान भक्तिपूर्वक ‘श्याम-श्याम’ का उच्चारण करें. ‘नारद पुराण’ के अनुसार, व्रत रखने से व्रज से जुड़े ज्ञान के समस्त रहस्यों की जानकारी होने की क्षमता विकसित होती है. ऐसा आराधक सभी पापों से मुक्त हो जाता है. इस हफ्ते व्रत-त्योहार

 
 
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