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- ऐसा दशहरा जिसमें रावण नहीं मारा जाता

बस्तर दशहरे में महाअष्टमी की रात्रि निशाजात्रा विधान सम्पन्न होता है. इस विधान में सुवार ब्राम्हणों द्वारा मावली मंदिर पकवान भाग स्वरूप बनाये जाते है जिसे 12 गांव 12 यदुवंषी कांवड़ से मिट्टी के बर्तनों में भर कर ले जाते हैं. निशाजात्रा मंदिर में पूजा अर्चाना और मंत्रोच्चारण के साथ यह भोग दशहरे में आमंत्रित सभी देवी देवताओं को अर्पित किया जाता है. इसमें राजपरिवार के सदस्य और राजगुरू शामिल रहते हैं. इस विधान का मूल उद्देश्य बस्तर की जनता और समस्त जीवों की सुख शांति की कामना है. आधी रात को होने वाली यह रस्म विशुद्धरूप से शक्ति पूजा और देवी देवातओं के संतुष्टि के लिए बलि देने की रात होती है.
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