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- ऐसा दशहरा जिसमें रावण नहीं मारा जाता

इसके पश्चात बस्तर दशहरे की अंतिम रस्म दंतेवाड़ा से आईं मावली देवी की विदाई के साथ सम्पन्न होता है. माई जी की विदाई मंगलवार या शनिवार को ही होती है. हाल के वर्षों में माई जी की विदाई पूरे जन सामन्य की मौजूदगी में की जाने लगी है. दंतेश्वरी मंदिर से जिया डेरा तक जन समुदाय खड़ा रहता है जगह जगह माई जी का स्वागत और पूजा अर्चना करता है. विदाई के दौरान नगर वासियों की आखें भी नम नजर आती हैं क्योंकि लोग ये महसूस करते हैं कि जितने दिन माई जी यहां रहती हैं उतने दिन उनका आशीष मिलता है और इसीलिए हर व्यक्ति भारी मन से उन्हें विदा करता है. यहां से माई जी अगले वर्ष आने के लिए दंतेवाडटा रवाना हो जाती हैं.
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