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- ऐसा दशहरा जिसमें रावण नहीं मारा जाता

अगले दिन सिरहासर भवन मे मुरिया दरबार आयोजित होता है. इस दरबार को बस्तर की जनसंसद की संज्ञा दी जाती है. इसमें बस्तर के सभी जिलों से आये मांझी मुखिया अपने अपने क्षेत्र की समस्याएं रखते हैं. राजा के समय इनका तत्काल निराकरण किया जाता था और राजा इसे जनता का आदेश मानता था. अब इस दरबार में प्रायः मुख्यमंत्री शामिल होते आये हैं और यथासंभव वे समस्यों का निदान करने की कोशिश करते हैं. अगले दिन वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत पर आधारित कुटुम जात्रा विधान होता है जिसमें पूरी बस्तर से आये देवी देवताओं की विदाई मान सम्मान से की जाती है. ग्रामों से आये देवी देवता देवी दंतेश्वरी के अनुचर कहलाते हैं.
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