शिव समान प्रिय मोहिं न दूजा

 रामेश्वरम, राम के प्रिय हैं शिव

रामेश्वरम अर्थात ‘राम के ईश्वर’ या दूसरे शब्दों में कहें तो ‘राम जिसके ईश्वर'. रामेश्वरम की यह व्याख्या रामकथाओं में मिलती है. इस प्रसंग में महादेव के प्रति श्रीराम के हृदयोदगारों को गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी दिव्य कृति ‘रामचरित मानस’ में इन शब्दों में व्यक्त किया है.

 
 
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