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- यहां हुआ था लव-कुश का मुण्डन संस्कार
दोनों बालकों को महर्षि बाल्मीकि को सौंपने के बाद माता सीता यहां तप करने के लिए रुक गई थीं. तप साधना में उनके साथ तीन अन्य देवियां भी थीं. मान्यता है कि तप के कुछ साल बाद पास के कुएं से एक मूर्ति निकली जिसे तपेश्वरी नाम दिया गया. बाद में यहां तीन अन्य देवियों महालक्ष्मी, महाकाली और महागौरी की प्रतिमाएं भी प्रतिष्ठित की गईं.
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