मां दुर्गा को दी विदाई

दशमी पर माता की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही दुर्गा पूजा समाप्त

दशमी के दिन माता के अगले साल फिर लौटने की कामना के साथ उनकी प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया और इसके साथ ही पूजा सम्पन्न हो गयी. सामान्य तौर पर सप्तमी से दशमी तक चार दिन धरती पर विराजने वाली मां दुर्गा इस साल तीन दिन बाद ही कैलाश के लिए विदा हो गयीं.अष्टमी और नवमी दोनों तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण ऐसा हुआ. महिलाओं ने ‘सिंदूर खेला’ रस्म में एक-दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाया, मिठाईयां खिलायीं, भगवती दुर्गा और अन्य देवियों की अर्चना करने के साथ-साथ ‘ढाक’ की ताल पर नृत्य किया. घरों में की गयी पूजा की प्रतिमाओं का शुक्रवार को ही हुगली नदी में विसर्जन किया गया जबकि सार्वजनिक रूप से स्थापित प्रतिमाओं का विसर्जन शनिवार को किया जाएगा. पंडालों के अंदर भक्तों ने देवी मां के दर्शन किए. इस मौके पर श्रद्धालुओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर नवरात्र की बधाई भी दी. दशमी पूजन और विसर्जन पूजा के बाद देवी की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया गया.

 
 
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