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- कहां खो गए वो सावन के झूले...
शाम ढलने पर महिलाओं की टोलियां पारंपरिक सावनी गीत गाते हुये झूला झूलने के लिए निकलती थीं. शादी के बाद पहले सावन में नवविवाहिता का मायके आकर सावनी गीतों पर झूला झूलना शगुन माना जाता था.
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शाम ढलने पर महिलाओं की टोलियां पारंपरिक सावनी गीत गाते हुये झूला झूलने के लिए निकलती थीं. शादी के बाद पहले सावन में नवविवाहिता का मायके आकर सावनी गीतों पर झूला झूलना शगुन माना जाता था.