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- दम तोड़ रही सहरी जगाने की परम्परा

उन्होंने कहा ‘‘सच्चाई यह है कि अब फेरी की परम्परा सिर्फ रस्मी रूप तक सीमित रह गयी है. लोग अब सहरी के लिये उठने के वास्ते अलार्म घड़ी का इस्तेमाल करते हैं और अब तो मोबाइल फोन के रूप में अलार्म हर खास-ओ-आम के हाथ में पहुंच चुका है. लेकिन यह रमजान की बरकत, फजीलत, बेहतरी और उसके जरिये अल्लाह का करम ही है कि सहरी के लिये जगाने की रवायत अभी जिंदा है.’’
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