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सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कुण्डली मिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है लेकिन अगर आपके पास कुंडली ना हो तो आप क्या करेंगे. यह एक बड़ी समस्या तब बन जाती है जब विवाह के लिए रिश्ते आने लगते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए कैलीग्राफी में उपाय बताए गये हैं. इससे आप बिना कुण्डली के योग्य जीवनसाथी का चुनाव कर सकते हैं. इस तकनीक में वर वधू का हस्ताक्षर मिलाकर देखा जाता है. दोनों के हस्ताक्षर में जितनी समानता मिलती है माना जाता है कि वर-वधू के उतने ही गुण मिलते हैं. जन्म कुण्डली के समान इस तकनीक में भी गुण मिलान की सर्वक्षेष्ठ संख्या 36 है. कैलिग्राफी एक्सपर्ट चन्द्रप्रभा बताती हैं कि यह तकनीक मनोविज्ञान के सिद्धांत पर काम करता है. व्यक्ति की सोच और उसके व्यक्तित्व का हर पहलू व्यक्ति के हस्ताक्षर और लिखावट में उभरकर आता है.
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