प्रकृति से मनुष्य का है ‘दिल का रिश्ता’

प्रकृति से मनुष्य का है ‘दिल का रिश्ता’

पृथ्वी, नदियां, पहाड़ और पेड़, शांत घाटियां, और चारों ओर हरे रंग के बागान ! शायद ही कोई हो, जो ऐसी जगह जाना पसंद न करे. सुकून की चाहत रखने वाले लोगों को दिल ही नहीं मानसिक सुकून भी यहां मिलता है. प्रकृति से बने हमारे शरीर का प्रकृति से लगाव होना प्राकृतिक ही है, यह हमारे डीएनए में स्वभाविक होता है. प्रकृति के साथ हमारे संबंध ही कुछ ऐसे होते हैं जो अंदरूनी खुशी देते हैं. कितनी ही बीमारियों का इलाज केवल प्रकृति की गोद में ही संभव है. कई ऐसे लोग जो काफी दिनों से बीमार हों, उन्हें चिकित्सक भी प्रकृति के बीच रहने की सलाह देते हैं, ऐसा इसलिए भी है कि प्रकृति से मनुष्य का गहरा रिश्ता है, प्रकृति के बीच जाते ही दिल बच्चों की तरह खुशी से झूमने सा लगता है.

 
 
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