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यह भी कहते हैं कि यहां टेसू के रंग की इतनी अधिक पिचकारियां चलती थीं कि उनसे यहां का पानी पीला दिखता था. गीतों में गालियां पीली पोखर में स्नान कर नंदगांव के हुरिहारे होली के रस भरे गीत गाते आगे बढ़ते हैं. गीत-संगीत की यह यात्रा बरसाने की ऊंची पहाड़ी पर स्थित लाड़िली जी के मंदिर में पहुंचती है जहां राधा की मनोहारी प्रतिमा के समक्ष शुरू होता है बरसाने और नंदगाव के गुसांइयों का संगीत. इस संगीत की दूसरी विशेषता यह है कि इसमें हंसी-ठिठोली और प्रीतिपूर्ण गालियां गाई जाती हैं.
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