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प्रशांत ने साथ ही बताया कि उनकी दुकान न केवल सोहन हलवा के लिये मशहूर थी बल्कि पूरी तरह बादाम और काजू से बनने वाली लाज, कराची हलवा, पिस्ते की लाज, काजू कतली और दाल बीजी ऐसी प्रसिद्ध मिठाइयां और नमकीन थे, जिनकी मांग विदेशों से भी आती थी. उन्होंने बताया कि मिठाइयों को बनाने के लिये बाकायदा 70 से 80 वर्ष पुरानी मशीनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन मांग घटने के साथ ये मशीने ऐसी ही पड़ी हैं.
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