‘उत्तर कांड’ में है कई अनसुलझे सवालों के जवाब

अनसुलझे सवालों के जवाबों को समेटे हुए है रामायण का ‘उत्तर कांड’

वाल्मीकि रामायण के सातवें और अंतिम अध्याय को आमतौर पर अनदेखा किया जाता है. पाठकों को ‘अंत भला तो सब भला’ निष्कर्ष तक पहुंचाने की राह में इस उपसंहार को उपेक्षित कर दिया जाता है लेकिन यही वह अध्याय है जो कथा के चरित्रों की उत्पत्ति से संबंधित कई सारे अनसुलझे सवालों के जवाबों को समेटे हुए है. लेखिका और अनुवादक अर्शिया सत्तार अपनी नई अनुवादित रचना ‘उत्तर: दी बुक ऑफ आन्सर्स’ के जरिए पाठकों को रामायण के इस हिस्से को नए सिरे से देखने का मौका दे रही हैं. बीते कई वर्षों से रामायण की शिक्षा दे रहीं सत्तार के मुताबिक उत्तर कांड सबसे ज्यादा ‘कठिन’ हिस्सा है जो जितने उत्तर देता है उतने ही नए प्रश्न खड़े कर देता है. उन्होंने बताया, ‘‘समय बीतने के साथ मैंने देखा है कि मेरे छात्र जो भी सवाल पूछते हैं उसके जवाब ‘उत्तर कांड’ में होते हैं मसलन हनुमान को उनकी शक्तियों का भान कैसे दिलाया गया या रावण ने सीता को छुआ क्यों नहीं और राजा बनने के बाद राम ने क्या किया, आदि.’’

 
 
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