कैसे करें चार धाम की यात्रा

PICS : हर मनोकामना पूरी करते हैं बदरी विशाल

इस वर्ष 21 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन विधि-विधान के साथ प्रात: 4 बजे पुन: बदरीनाथ का पट खुला. भगवान विष्णु के अवतार श्री नर-नारायण ने यहीं तपस्या की थी, मंदिर के पूर्व और पश्चिम की ओर स्थित पर्वत शिखरों को क्रमश: नर-नारायण कहा जाता है. इन दोनों पर्वतों के बीच की खाई से होकर अलकनन्दा प्रवाहित होती है. श्री बदरीनाथ की मूर्ति शालिग्राम शिला में बनी ध्यानमग्न चतुभरुज-मूर्ति है. धर्मग्रंथों से पता चलता है कि पहली बार यह मूर्ति देवताओं ने अलकनन्दा के नारदकुंड से निकालकर स्थापित की. देवर्षि नारद इसके प्रथम अर्चक हुए. बाद में जब देश पर बौद्धों का प्रभाव बढ़ गया तो इस मंदिर पर उनका अधिकार हो गया.

 
 
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