चिंकारा शिकार के दो मामलों में बरी हुए सलमान खान

Last Updated 25 Jul 2016 11:46:40 AM IST

बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के लिए सोमवार को दिन बेहद अहम रहा. सोमवार को जोधपुर स्थित राजस्थान हाईकोर्ट ने सलमान को चिंकारा शिकार के दो मामलों में बरी किया.


बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान (फाइल फोटो)

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की एकल पीठ ने 18 साल पुराने बहुचर्चित हिरण शिकार के दो अलग-अलग प्रकरणों में सजा के खिलाफ पेश की गई निगरानी याचिका व सरकार की अपीलों पर निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए अभिनेता सलमान खान को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.

न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की अदालत ने सोमवार को हिरण शिकार के दो मामलों में निचली अदालत द्वारा सलमान को सुनायी गयी दो अलग अलग पांच साल तथा एक साल की सजा को माफ करते हुए उन्हें बरी कर दिया है.

इसी प्रकरण में दो मामले अभी भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (जोधपुर जिला) में विचाराधीन हैं.

अदालत ने कहा कि चिंकारा से मिली गोलियां सलमान की लाइसेंसी बंदूक से नहीं चलाई गई थीं.
   
सलमान और उनके सह अभिनेताओं ने कथित शिकार पर जाने के लिए जिस जीप का इस्तेमाल किया था, उसका चालक लापता है जिसके कारण फिल्म अभिनेता के खिलाफ अभियोजन का पक्ष कमजोर हो गया था.
   
इस विलुप्तप्राय जीव को वर्ष 1998 में गोली मारने के मामले में 50 वर्षीय सलमान खान वर्ष 2007 में करीब एक सप्ताह जेल में रहे थे.
   
भवाद और मथानिया में चिंकारा के शिकार संबंधी दो मामलों में सजा के खिलाफ सलमान की याचिका को उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया था. अदालत ने उन्हें दोनों मामलों में बरी कर दिया.
   
न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर ने अभिनेता के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी.
   
सलमान खान के खिलाफ 26-27 सितंबर, 1998 में भवाद गांव में दो चिंकारा और 28-29 सितंबर, 1998 में मथानिया (घोड़ा फार्म) में एक चिंकारा के शिकार के संबंध में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 51 के तहत मामले दर्ज किए गए थे.
  

निचली अदालत (सीजेएम) ने उन्हें दोनों मामलों में दोषी ठहराते हुए 17 फरवरी 2006 को एक साल और 10 अप्रैल, 2006 को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी. लेकिन बाद में जोधपुर हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई. घोड़ा फार्म हाउस शिकार मामले में सलमान को 10 से 15 अप्रैल 2006 तक 6 दिन केंद्रीय कारागृह में रहना पड़ा. सेशन कोर्ट द्वारा इस सजा की पुष्टि करने पर सलमान को 26 से 31 अगस्त 2007 तक जेल में रहना पड़ा था.

इस मामले में सलमान हाई कोर्ट से बेल पर हैं और इस पर भी फैसला 25 जुलाई को आएगा. इन दोनों मामले में जोधपुर हाई कोर्ट में 12 मई को सुनवाई पूरी हो चुकी थी और फैसला सुरक्षित था.

सलमान ने उन्हें दोषी ठहराए जाने के फैसले को सत्र अदालत में चुनौती दी थी। सत्र अदालत ने मथानिया के मामले में याचिका खारिज कर दी थी और भवाद के मामले में याचिका को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था जहां राज्य सरकार की दो याचिकाएं पहले से ही ही लंबित थीं.
   
इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई उच्च न्यायालय में 16 नवंबर 2015 को शुरू हुई थी और यह 13 मई 2016 को पूरी हुई थी जिसके बाद न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
   
बचाव पक्ष के वकील महेश बोरा ने उच्च न्यायालय में दलील पेश करते हुए कहा था कि सलमान को एक अहम गवाह हरीश दुलानी के बयानों पर ही इन मामलों में गलत फंसाया गया है. दुलानी उस वाहन का चालक था जिसका इस्तेमाल इन दोनों मामलों में शिकार में कथित रूप से किया गया था.
   
बोरा ने दलील दी कि दुलानी कभी भी उन्हें जिरह के लिए उपलब्ध नहीं हो पाया और इसलिए सलमान को दोषी ठहराने के लिए केवल उसके बयानों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता.
   
उन्होंने यह तर्क भी दिया कि दोनों मामले परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर बनाए गए और सलमान के खिलाफ कोई भी प्रत्यक्षदर्शी या कोई अन्य सबूत नहीं है.
   
इसके अलावा अदालत ने पाया कि सलमान के पास से मिली बंदूक की गोलियां, उन गोलियों से मेल नहीं खातीं जो वाहन में से मिली थीं.
   
बचाव पक्ष ने मजबूत दलील दी कि ये गोलियां बाद में रखी गई थीं क्योंकि वन विभाग की जांच में वाहन में ये नहीं मिली थीं और बाद में पुलिस की जांच में आश्चर्यजनक रूप से मिली थीं.

इसी प्रकार बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि शिकार में कथित रूप से इस्तेमाल किए गए हथियार सलमान के पास नहीं थे और वे वन विभाग की मांग पर ही मुंबई से जोधपुर लाए गए थे। यह भी तर्क दिया गया कि पेश की गई गोलियां एयर गन की हैं जिसकी क्षमता किसी जीव को मारने की कतई नहीं है.
    
अभियोजन के वकील केएल ठाकुर ने इसके जवाब में तर्क दिया कि दुलानी दो बार अदालत में पेश हुआ लेकिन बचाव पक्ष ने उससे जिरह नहीं की.
    
ठाकुर ने सह आरोपियों के बयानों का हवाला देते हुए दुलानी के बयानों की पुष्टि कर अपने मामले को साबित करने की कोशिश की लेकिन इनमें से कुछ अदालत में बाद में मुकर गए.
    
ऐसा बताया गया था कि सलमान पहले मामले में चिंकारा का मृत शरीर होटल आशीर्वाद में लेकर आए थे. ठाकुर ने दूसरे मामले में शिकार स्थल पर खून से सनी जमीन और होटल आशीर्वाद से मिले खून के धब्बों की एफएसएल रिपोर्ट का जिक्र  करते हुए यह साबित करने की कोशिश की यह चिंकारा का खून था.
    
अभियोजन ने दूसरे मामले संबंधी वाहन के टायर के निशानों की एफएसएल रिपोर्ट भी पेश की और कहा कि छह में से चार नमूने यह साबित करते हैं कि यह वही वाहन था जो शिकार स्थल पर गया था.

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