सख्ती से लागू होगा बाल कलाकार संबंधी दिशानिर्देश

Last Updated 01 Aug 2022 10:27:08 AM IST

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा है कि मनोरंजन उद्योग में बाल कलाकारों से संबंधित एनसीपीसीआर के दिशानिर्देशों का मसौदा अधिसूचित होने के बाद उल्लंघन के मामले सामने आने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।


सख्ती से लागू होगा बाल कलाकार संबंधी दिशानिर्देश

कानूनगो ने इस बयान के जरिए मसौदे की प्रभावशीलता को लेकर हितधारकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है।
एनसीपीसीआर के दिशानिर्देशों के मसौदे में कहा गया है कि किसी भी बच्चे को लगातार 27 दिन से अधिक काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा एक दिन में उससे छह घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता। साथ ही बच्चे की आय का 20 प्रतिशत हिस्सा एक राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा खाते में जमा कराना होगा। इसका उद्देश्य फिल्मों, टीवी, रियलिटी शो, सोशल मीडिया और ओटीटी में काम करने वाले बाल कलाकारों को शारीरिक व मनोवैज्ञानिक तनाव से बचाना और उनके लिए स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करना है।
फिल्म निर्माता विनोद कांबले ने प्रस्तावित दिशानिर्देशों का समर्थन किया है। साल 2019 में आई उनकी फिल्म ‘कस्तूरी‘ को पिछले साल 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म का पुरस्कार मिला था। इस फिल्म में मैला ढोने वाले परिवार के 14 वर्षीय दलित लड़के की पीड़ा को दर्शाया गया है। कांबले ने कहा, उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि फिल्म के निर्माण के दौरान बाल कलाकारों की शिक्षा किसी भी तरह से प्रभावित न हो। उन्होंने कहा, 14 साल से कम उम्र के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उनका दावा है कि इन दिनों रियलिटी शो में उन्हें दिन में 18 घंटे काम करने के लिए कहा जाता है।

फिल्म निर्माता ने कहा, हमें एक ऐसे समूह या संगठन की आवश्यकता है जो स्थिति का निरीक्षण कर सके और यदि आवश्यक हो तो जरूरी कार्रवाई कर सके। साथ ही, बच्चों के कार्य समझौते में यह सुनिश्चित करने के लिए एक खंड होना चाहिए कि उनका शोषण नहीं किया जाएगा। बाल कलाकार रूहानिक धवन की मां डॉली धवन ने कहा, वह चाहती हैं कि रूहानिका शुक्रवार से रविवार तक ही काम करे ताकि उसकी पढाई को नुकसान न हो और शो के निर्माता आखिरकार इस बात पर सहमत हो गए हैं।
डॉली ने कहा, लेकिन सेट पर ऐसे कई बच्चे होते हैं, जो कार्यक्रम के प्राथमिक पात्र और उसका अभिन्न हिस्सा नहीं होते। वे सबसे पहले सेट पर आते हैं और सबसे आखिर में जाते हैं। कई बच्चों को एक साथ एक कमरे में रहना पड़ता है। उन्होंने कहा, इससे मेरा दिल टूट जाता है। मुझे खुशी है कि एनसीपीसीआर इसके बारे में बात कर रहा है। अगर यह (मसौदा दिशानिर्देश) लागू हो जाता है तो ऐसा कुछ नहीं होगा।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष कानूनगो ने कहा, इन मसौदा दिशानिर्देशों के 90 प्रतिशत घटक मौजूदा कानूनों से लिए गए हैं। मसौदा विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए लाया जा रहा है कि इन कानूनों को ठीक से लागू किया जाए। दिशानिर्देशों का सख्ती से क्रियान्वयन कैसे सुनिश्चित किया जाएगा, इस बारे में उन्होंने कहा, अगर हमें कोई उल्लंघन मिलता है तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे और यहां तक कि राज्यों के आयोग भी इन दिशानिर्देशों पर अमल करेंगे।

भाषा
नई दिल्ली


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