अर्थव्यवस्था : नए वर्ष में बड़ी उम्मीदें

Last Updated 02 Jan 2024 01:42:36 PM IST

इन दिनों वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संगठनों के द्वारा बीते वर्ष 2023 की आर्थिक चुनौतियों और नए वर्ष 2024 की आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाशित की जा रही विभिन्न रिपोर्टों में नए वर्ष में भारत के आर्थिक विकास की ऊंची संभावनाएं प्रस्तुत की जा रही हैं।


अर्थव्यवस्था : नए वर्ष में बड़ी उम्मीदें

यदि हम नए वर्ष 2024 की डगर पर आगे बढ़ते भारत की आर्थिक तस्वीर को देखें तो पाते हैं कि भारत को 2023 से प्रमुखतया महंगाई, रोजगार, रुपए की कीमत, विदेशी मुद्रा भंडार, देश पर विदेशी कर्ज, व्यापार घाटा, चिंताजनक  मानव विकास सूचकांक जैसी आर्थिक चुनौतियां विरासत में मिली हैं।

बीते वर्ष 2023 में भारत मानव विकास सूचकांक में पीछे दिखाई दिया है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के द्वारा प्रकाशित मानव विकास सूचकांक में 189 देशों की सूची में भारत 132वें पायदान पर पाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य व शिक्षा की बड़ी चुनौतियों भारत के समक्ष बनी हुई है। दुनिया में प्रतिव्यक्ति आय के मामले में भी भारत की स्थिति 129वें क्रम पर परिलक्षित हुई है।

बीते वर्ष में महंगाई के मोर्चे पर मुश्किलें लगभग वर्ष भर बनी रहीं। इस्रइल-हमास युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध, तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के द्वारा तेल उत्पादन में कटौती, वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन में कमी ने भी महंगाई बढ़ाई और महंगाई ने आम आदमी से लेकर सरकार के लिए भी चिंताएं निर्मिंत की। खासतौर से नवम्बर 2023 के बाद एक बार फिर थोक एवं खुदरा महंगाई बढ़ने लगी। खाद्य महंगाई की दर बढ़कर 8.7 फीसद से अधिक पहुँच गई ।

यदि हम देश में 2023 के रोजगार परिदृश्य को देखें तो पाते हैं कि रोजगार की स्थिति संसद की बहस से लेकर युवाओं की चिंता का कारण बनी रही। वर्ष 2023 में वैश्विक सुस्ती के कारण जो उद्योग-कारोबार प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए वहां रोजगार के कम मौके निर्मिंत हुए, लेकिन गिग अर्थव्यवस्था और असंगठित सेक्टर में मौके बढ़ने से बेरोजगारी दर जो 2017-18 में छह फीसद थी वह 2022-23 में घटकर 3.2 फीसद रही। जहां वर्ष 2023 में आईटी बाजार की रोजगार तस्वीर बदल गई और बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ी तथा नई नियुक्ति का अनुपात भी घट गया।

यद्यपि भारत ने वर्ष 2023 में वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच निर्यात बढ़ाने व आयात घटाने के अधिकतम प्रयास किए, लेकिन फिर भी बीते वर्ष में निर्यात तेजी से नहीं बढ़ पाए तथा विदेशी मुद्रा की अन्य साधनों से कमाई भी कम रही, इससे व्यापार घाटा बढ़ा। बीते वर्ष में रुपया वर्ष भर लुढ़कता रहा, वर्ष 2023 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति को सख्त बनाए जाने से डॉलर के मुकाबले रुपया निचले स्तर पर लुढ़ककर 84 के स्तर पर पहुंच गया। वर्ष 2023 के शुरूआती महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आई। इस गिरावट का कारण निर्यात में कमी आयात में वृद्धि व डॉलर की तुलना में रु पए को थामने के लिए आवश्यकता के अनुरूप विदेशी मुद्रा कोष में संचित डॉलर की बिक्री किया जाना भी रहा।

निश्चित रूप से  इन विभिन्न आर्थिक चुनौतियों के बीच भी वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने कई मोचरे पर बेहतर प्रस्तुतिकरण दिखाया है और भारत की कई आर्थिक उपलब्धियां दुनियाभर में रेखांकित हुई। कारोबारी और वित्तीय परिदृश्य व्यापक तौर पर विस्तार को लेकर आशावादी रहा और विकास मूलक संकेत देते हुए मजबूत बैलेंस शीट प्रस्तुत करता रहा। विनिर्माण, खनन, निर्माण तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई है। खासतौर से मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, कंस्ट्रक्शन, सीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी, होटल, ट्रांसपोर्ट, ऑटो मोबाइल, फॉर्मा, केमिकल, फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल ई-कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, डेटा एनालिसिस, सायबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, आदि क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के मौके बढ़ते हुए दिखाई दिए।

बीत वर्ष में भारत दुनिया में सर्वाधिक डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन वाले देश के रूप में रेखांकित हुआ है। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि वर्ष 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2000 रु पये के नोट को चलन से बाहर करने के बाद बैंक जमा में भारी वृद्धि हुई। रिजर्व बैंक ने इन्हें बदलने के लिए 7 अक्टूबर का समय दिया था। दिसम्बर 2023 तक 97 फीसद से अधिक नोट बैंकों में वापस आ गए। 8 साल पहले भी हुई 500-1000 रुपए की नोटबंदी से 99 फीसद नोट वापस आ गए थे। 2000 रु पये के नोटों की वापसी के बीच बैंक जमा छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचते हुए 191 लाख करोड़ रु पए से अधिक पर पहुंच गई।

यह बात भी भारत के आर्थिक घटनाक्रम पर रेखांकित हो रही है कि वर्ष 2023 में भारत राजकोषीय घाटा नियंत्रण में सफल रहा है। वर्ष 2023 में केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे के निर्धारित लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 फीसद तक सीमित रखने में सफल रही है। वर्ष 2023 में लगभग प्रतिमाह बाजारों में उपभोक्ता मांग में तेजी और उद्योग-कारोबार में बेहतरी से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन में वृद्धि हुई। वषर्भर में यह 12 प्रतिशत बढ़ा। अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से अधिक 10.45 फीसद बढ़कर 33.61 लाख करोड़ रु पए पहुंच जाएगा। कारपोरेट एवं व्यक्तिगत आयकर 10.5 फीसद बढ़कर करीब 18.23 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच जाएगा।

इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि नए वर्ष 2024 को भारत के द्वारा की गई जी-20 की सफल अध्यक्षता से नए आर्थिक लाभों की ऐसी अभूतपूर्व संभावनाएं मिली हैं, जिससे भारत से निर्यात, भारत में विदेशी निवेश, भारत में विदेशी पर्यटन और भारत के डिजिटल विकास का नया क्षितिज सामने आते हुए दिखाई देगा। दिसम्बर 2023 में सेंसेक्स 72,000 अंकों से अधिक की सर्वकालिक उच्च  स्तर को छूते हुए दिखाई दिया है। हम उम्मीद करें कि वर्ष 2024 की आर्थिकी को 2023 से बेहतर बनाने और देश की विकास दर के लक्ष्य को 6.5 फीसद से आगे पहुंचाने के साथ-साथ 2047 में विकसित देश बनाने के लक्ष्य को पाने के लिए देश में नए वर्ष 2024 में महंगाई नियंत्रित रखने, सरकारी कर्ज को बढ़ने से रोकने, निर्यात बढ़ाने, व्यापार घाटा कम करने, उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास के साथ राष्ट्रीय चरित्र के नवनिर्माण के लिए नई पहल की जाएगी।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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