Asian Games : इस बार सौ पार पदक की उम्मीद

Last Updated 20 Sep 2023 01:35:09 PM IST

चीन के हांगझू में 23 सितम्बर से आठ अक्टूबर तक होने वाले एशियाई खेलों में भाग लेने वाले भारतीय दल की थीम है, अबकी बार सौ पार। इसका मतलब है कि हम इस बार भारतीय खिलाड़ियों से 100 से ज्यादा पदक जीतने की उम्मीद कर रहे हैं।


Asian Games : इस बार सौ पार पदक की उम्मीद

भारत ने पांच साल पहले जकार्ता में हुए  एशियाई खेलों में 16 स्वर्ण, 23 रजत पदक सहित कुल 70 पदक जीते थे। भारतीय खिलाड़ियों ने यदि अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन किया होता तो पिछली बार ही हम सौ के आस पास पहुंच सकते  थे, लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह से भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे इस लक्ष्य तक पहुंचने में शायद ही कोई दिक्कत हो।

हम बॉक्सिंग को ही लें तो हम जकार्ता में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक सहित कुल दो पदक ही जीत सके थे, मगर हम इस बार के बॉक्सिंग दल पर नजर डालें तो प्रदर्शन में सुधार होने की पूरी संभावना नजर आती है। बॉक्सिंग में इस बार सात सदस्यीय पुरुष और छह सदस्यीय महिला दल भाग ले रहा है। इस दल में निकहत जरीन को महिलाओं के 50 किग्रावर्ग में स्वर्ण पदक जीतने का पक्का दावेदार माना जा सकता है। भले ही उनके यह पहले एशियाई खेल हैं पर वह अब तक विश्व चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स के खिताब जीत चुकी हैं। उनका ओलंपिक पदक जीतने का सपना है और यह खेल ओलंपिक के क्वालिफायर भी हैं, तो निकहत को गोल्ड पर निशाना साधना ही होगा। 

इसके अलावा टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लोवलिना, दीपक भूरिया और  शिव थापा भी पदक जीतने के मजबूत दावेदार हैं। इससे इस बार पिछले खेलों से बेहतर प्रदर्शन होना तय  है। भारत को सौ पदकों के आंकड़ों को पार करना है तो एथलेटिक्स और निशानेबाजी में प्रदर्शन को बेहतर करना होगा, क्योंकि यह दोनों  ऐसे खेल हैं, जिनमें पदकों की संख्या खासी रहती है। एथलेटिक्स में जेवेलिन स्पर्धा के ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा की अगुआई में  भारत का 68 सदस्यीय दल भाग ले रहा है। वैसे तो भारत ने पिछले खेलों में आठ स्वर्ण और नौ रजत पदक सहित कुल 20 पदक जीते थे। पर मौजूदा दल में नीरज चोपड़ा, मुरली श्रीशंकर, जेसविन एल्ड्रिन, अन्नु रानी के अलावा पुरुष और महिला वगरे की चार गुणा 400 मीटर की रिले टीमों ने पिछले दिनों में जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे उनके स्वर्ण पदक के साथ लौटने की उम्मीद की जा सकती है।

नीरज चोपड़ा तो ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और डायमंड लीग के खिताब जीत चुके हैं, इसलिए उनकी बराबरी करता शायद ही कोई नजर आए। वहीं भारतीय पुरुष चार गुणा 400 मीटर की रिले टीम ने तो विश्व चैंपियनशिप में इतिहास रच दिया था, इसलिए इस बार एथलेटिक्स में और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है। पिछली बार भारतीय तीरंदाजों ने खासा निराश किया था और वह सिर्फ दो पदक जीत सके थे, वह भी रजत पदक, लेकिन इस बार 16 सदस्यीय पुरुष और महिला दल भाग ले रहा है। भारतीय तीरंदाजों  ने पिछले कुछ समय में बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया है, इसलिए इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। वैसे भी भारत के सौर पार के नारे को इस खेल में बेहतर प्रदर्शन किए बगैर हासिल करना जरा मुश्किल है। इसी तरह निशानेबाजी में भारत ने पिछली बार दो स्वर्ण और चार रजत सहित 9 पदक जीते थे, जिसे उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कहा जा सकता है। इस बार भाग ले रहे 33 सदस्यीय दल से पांच स्वर्ण सहित कम से 15-16 पदक की उम्मीद तो होनी ही चाहिए।

सही मायनों में एथलेटिक्स, तीरंदाजी और निशानेबाजी में बेहतर प्रदर्शन किए बगैर सौ पदकों का आंकड़ा पार नहीं होने वाला है। भारत के लिए हॉकी के पदक बहुत मायने रखते हैं, क्योंकि इस खेल से देशवासियों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। भारतीय पुरुष टीम तो स्वर्ण पदक पाने की पक्की दावेदार है। महिला टीम भी दावेदार है पर उसके सामने कहीं ज्यादा कड़ी चुनौती सामने होगी। जहां तक पुरुष टीम है तो वह बहुत समय बाद एफआईएच रैंकिंग में तीसरे नंबर पर पहुंची है। वैसे भी वह पिछले माह एशियाई चैंपियंस में उन सभी टीमों को फतह कर चुकी है, जिनसे उसका एशियाई खेलों में सामना होना जा रहा है। भारतीय टीम इस बार गोल्ड जीतने पर इसलिए भी जोर लगाएगी, क्योंकि यहां जीता गोल्ड अगले  साल होने वाले पेरिस ओलंपिक में सीधा प्रवेश दिला देगा। इन खेलों में पहली बार शामिल  की पुरुष और महिला क्रिकेट में भले ही सभी टीमों ने दूसरे दर्जे के खिलाड़ी उतारे हैं, क्योंकि पांच अक्टूबर से भारत में आईसीसी विश्व कप का आयोजन होनेजा रहा है।

सभी टीमें का पहला लक्ष्य विश्व कप है। भारत में युवा खिलाड़ियों की भरमार है, इसलिए उसे दूसरी टीम को उतारने में कोई दिक्कत नहीं है पर सभी टीमों की स्थिति भारत जैसी तो कतई नहीं है। यहां तक महिला टीम की बात है तो वह विश्व स्तर पर झंडे गाड़ती रही है, इसलिए एशियाई स्तर पर खिताब जीतने में शायद ही कोई दिक्कत हो। हां इतना जरूर है कि भारतीय कप्तान हरमनप्रीत पर दो मैचों का बैन लगे होने से वह पहले दो मैच में नहीं खेल पाएंगी। पर एशिया के क्रिकेट स्तर देखते हुए, उसके चैंपियन बनने पर कोई दिक्कत नहीं आती है।  

मनोज चतुर्वेदी


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