मुद्दा : नागर विमानन क्षेत्र में लापरवाही

Last Updated 19 May 2022 12:07:23 AM IST

पिछले दिनों रांची के एयरपोर्ट पर जब एक दिव्यांग किशोर के साथ इंडिगो एयरलाइन द्वारा भेदभाव की खबर सामने आई तो मामले ने तूल पकड़ा।


नागर विमानन क्षेत्र में लापरवाही

इसके बाद भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तुरंत जांच के आदेश देते हुए कहा कि दोषियों बख्शा नहीं जाएगा। जांच के बाद भारत सरकार के नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एक आदेश के जरिए यह साफ कर दिया कि ‘इंडिगो के कर्मचारी यात्रियों के साथ सही तरीके से पेश नहीं आए और इस तरह उन्होंने लागू नियमों के अनुरूप काम नहीं किया।’
इसी के चलते एयरलाइन को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया गया, जिसमें उसे बताना होगा कि नियमों के अनुरूप काम नहीं करने पर उसके खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। एयरलाइन द्वारा दिव्यांग के साथ ऐसा बरताव दुखद है परंतु डीजीसीए द्वारा इस मामले में फुर्ती दिखाना केवल इसलिए हुआ क्योंकि यह मामला सुर्खियों  में था। नागरिक उड्डयन क्षेत्र में आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां बड़ी से बड़ी गलती करने वाले को डीजीसीए द्वारा केवल औपचारिकता करके कम सजा दी जाती है। फिर वो चाहे एक कोई नामी कमर्शियल एयरलाइन हो, किसी प्रदेश का नागरिक उड्डयन विभाग हो या कोई निजी चार्टर हवाई सेवा वाली कंपनी। यदि डीजीसीए के अधिकारियों ने मन बना लिया है तो बड़ी से बड़ी गलती को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है।
पिछले दिनों रायपुर में हुए हेलीकाप्टर हादसे में दो अनुभवी पाइलटों ने अपनी जान गंवा दी। सूत्रों के अनुसार ऐसा पता चला है कि दुर्घटना की जांच होने से पहले ही भोपाल के डीजीसीए के क्षेत्रीय अधिकारियों ने इंजीनियरिंग विभाग की गलतियों की लीपापोती करनी शुरू कर दी। शायद डीजीसीए के क्षेत्रीय अधिकारियों ने ऐसा इसलिए किया कि उन्हें इस बात का डर था कि जांच में उनकी लापरवाही पकड़ी जा सकती थी। सूत्रों के अनुसार ऐसा भी हो सकता है कि इस दुर्घटना की गलती दिवंगत पाइलटों के सिर मढ़ दी जाए।   

मिसाल के तौर पर ताजा उदाहरण एक निजी चार्टर कंपनी का है, जिसके एक पाइलट ने सभी नियम और कानून की धज्जियां उड़ा कर अपने लिए कम से कम सजा तय करवाई और यह भी निश्चित कर लिया कि उसकी गंभीर गलती को नजरंदाज कर दिया जाए। चूंकि यह निजी चार्टर सेवा देश के बड़े-बड़े नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों को अपनी सेवा प्रदान करती रहती है, इसलिए वो अपने खिलाफ हर तरह की कार्यवाही को अपने ढंग से तोड़-मरोड़ कर खानापूर्ति करती रहती है।
इस निजी एयरलाइन के पाइलट कैप्टन एचएस विर्दी ने लगातार नियम और कानून तोड़ कर यह साबित कर दिया है कि वे चाहे कुछ भी करें, उन्हें उनके पद से कोई नहीं हटा सकता। कैप्टन विर्दी के खिलाफ बीए टेस्ट (पाइलट के नशे में होने का टेस्ट) के उल्लंघन से लेकर तमाम संगीन लापरवाहियों की लिखित शिकायत मेरे द्वारा डीजीसीए को भेजने के बाद उन्हें और उनके लाइसेंस को 17 फरवरी, 2022 को केवल तीन महीने के लिए ही निलंबित किया गया। जबकि इससे कम संगीन गलतियों पर डीजीसीए के अधिकारी एयरलाइन के कर्मचारियों को कड़ी से कड़ी सजा दे देते हैं। ऐसे दोहरे मापदंड क्यों? कैप्टन विर्दी ने अपने रसूख के चलते निलंबन अवधि के दौरान ही 3 मार्च, 2022 को अपना पीपीसी चेक भी करवा डाला, जो कि निलंबन अवधि में गैर-कानूनी है। ऐसा नहीं है कि डीजीसीए के उच्च अधिकारियों को इस बात का पता नहीं। लेकिन रहस्यमयी कारणों से वे इस संगीन गलती को अनदेखा करने पर मजबूर थे। नागर विमानन जानकारों के अनुसार जब से नागर विमानन महानिदेशालय मौजूदा महानिदेशक ने पदभार संभाला है, तब से डीजीसीए में भ्रष्टाचार को पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ावा मिला है। मौजूदा महानिदेशक और उनके कुछ चुनिंदा अधिकारी डीजीसीए में बड़ी से बड़ी लापरवाही को मामूली सी गलती बता कर दोषियों को चेतावनी देकर छोड़ देते हैं। आंकड़ों की मानें तो ऐसी लापरवाही के चलते हादसों में भी बढ़ोतरी हुई है।
हादसे चाहे निजी एयरलाइन के कर्मचारियों द्वारा हों, निजी चार्टर कंपनी द्वारा हों, किसी ट्रेनिंग सेंटर में हों या फिर किसी राज्य सरकार के नागर विमानन विभाग द्वारा हों, यदि वो मामले तूल पकड़ते हैं, तो ही सख्त सजा मिलती है वरना ऐसी घटनाओं को आम तौर पर छिपा दिया जाता है।
वीवीआईपी और जनता की सुरक्षा की दृष्टि से समय की मांग है कि नागर विमानन मंत्रालय के सतर्कता विभाग को कमर कस लेनी चाहिए और डीजीसीए में लंबित पड़ी पुरानी शिकायतों की जांच कर यह देखना चाहिए कि किस अधिकारी से क्या चूक हुई। ऐसे कारणों की जांच भी होनी चाहिए कि तय नियमों के तहत डीजीसीए के अधिकारियों ने दोषियों को सही सजा क्यों नहीं दी और एक ही तरह की गलती के लिए दोहरे मापदंड क्यों अपनाए?
(लेखक के विचार निजी हैं)

रजनीश कपूर


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