सरोकार : गंगा शहीदों की मांग पर संकल्प कब?

Last Updated 03 Mar 2019 02:55:07 AM IST

भारत भी मां है, और गंगा भी। भारत माता की जय का उद्घोष हमें जोश से भर देता है। गंगा मैया की जयकारा तो हम न मालूम कितनी बार लगाते हैं।


सरोकार : गंगा शहीदों की मांग पर संकल्प कब?

सच है कि गंगा मैया की जय, गंगा नामक एक नदी द्वारा हम पर किए उपकार के प्रति कृतज्ञता बोध का प्रतीक है। हमारे और गंगा नदी के बीच मां और संतान के रिश्ते पर मुहर लगाता है।
स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद, युवा संन्यासी निगमानंद और नागनाथ मां गंगा पर बलिदान हुए। क्या गंगा के लिए स्वयं को बलिदान को लेकर भी गंगा को मां कहने वालों की बाजुएं फड़कीं? क्या किसी ने कहा कि मां गंगा के गंगत्व से खिलवाड़ करने वालों का दंडित किया जाए; उनसे मां गंगा के बलिदानियों का बदला लिया जाए? 111 दिन के उपवास के बाद 11 अक्टूबर, 2018 को स्वामी सानंद की मौत हुई। उनकी मौत के संबंध में एम्स (ऋषिकेश), स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय गंगा मंत्री नितिन गडकरी को लेकर मातृ सदन के स्वामी श्री शिवानंद ने सवाल उठाए। हरियाणा के युवा संत गोपालदास की ख्याति गाय और गोचर भूमि की रक्षा हेतु संघर्ष की रही है। स्वामी सानंद के बलिदान के बाद उनकी मांगों की बाबत अनशन को जारी रखने वाले गोपालदास को एम्स, दिल्ली से लापता करार दिया गया। चार दिसम्बर से आज तक उनका कोई अता-पता नहीं है। क्या किसी दल, नेता या धर्मध्वजधारी ने सीबीआई जांच की मांग की? गोपालदास जी के बाद केरलवासी आत्मबोधानंद इस बोध के साथ अनशन पर बैठे कि गंगा सिर्फ  उत्तर की नहीं, दक्षिण भारत की भी है। अत: वह अनशन पर बैठेंगे। वह 28 अक्टूबर, 2019 से लगातार उपवास पर हैं। उनकी सेहत पर खतरा लगातार गहरा रहा है। किसी भी क्षण पूरे हो सकते हैं। क्या खुद को गंगा का पुत्र कहने वाले प्रधानमंत्री और हम संतानों को इस बात का थोड़ा भी मलाल है कि गंगा की खातिर एक और संत को हम खोने के कगार पर है? 

असलियत यह है कि बीते पौने पांच साल में गंगा निर्मलता के नाम पर जितने काम और घोषणाएं हुई, उनमें से ज्यादातर का लक्ष्य लोगों को भरमाना, बहलाना ही रहा। गंगा ग्राम, गंगा प्रहरी, गंगा निगरानी, गंगा पुलिस बल, शौचालय निर्माण, सीवरेज नेटवर्क, मल-अवजल शोधन संयंत्र, मशीन चलाकर नदी की ऊपरी सतह से कागज-पॉली कचरा हटाना, सौन्दर्यीकरण के नाम पर घाटों को कंपनियों को सौंपना, वृक्षारोपण, गाद निकासी, गंगा जलमार्ग, गंगा क़ानून प्रारूप आदि। कोई बताए कि क्या ये करने से गंगा निर्मल हो जाएगी? सभी जानते हैं कि बिना अविरलता, निर्मलता कभी संभव नहीं? सभी जानते हैं कि गाद निकासी, गंगा जलमार्ग और रिवर फ्रंट डवलपमेंट जैसे कार्यों से गंगा को नफे की बजाय नुकसान ही होगा। सभी जानते हैं कि गोमुख से निकली एक भी बूंद प्रयागराज नहीं पहुंचती। कि गंगा का गंगत्व ही है, जो गंगा को अनन्य बनाता है। समझें कि गंगा की अविरलता की मांग, गंगा की सुरक्षा से ज्यादा हमारी सेहत, रोजी-रोटी, भूगोल, आर्थिकी, आस्था और भारतीय अस्मिता की सुरक्षा से जुड़ी मांग है। इसीलिए मांग है कि हम मुखर हों और शासन-प्रशासन को गंगा तथा गंगा की सुरक्षा के प्रति अनशनरत संतानों के प्रति संवेदनशील और ईमानदार होने को विवश करें।

अरुण तिवारी


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