आईपीएल : पहली बार चैंपियन का चखा स्वाद

Last Updated 31 May 2016 01:39:18 AM IST

डेविड वार्नर ने इसी खूबी को दर्शाकर सनराइजर्स हैदराबाद को पहली बार आईपीएल के नवें सत्र का चैंपियन बना दिया.


पहली बार चैंपियन का चखा स्वाद

विराट कोहली की अगुआई में जिस तरह से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर ने पहले 10 मैच में से छह को हारकर वापसी करके फाइनल में स्थान बनाया था और विराट और एबी डिविलियर्स का बल्ला लगातार रनों की आग उगल रहा था, इसलिए उनसे चैंपियन बनने की ज्यादा उम्मीद लगाई जा रहीं थीं. यही नहीं तमाम लोग तो फाइनल एकतरफा होने तक की भविष्यवाणी कर रहे थे. लेकिन यह सभी जानते हैं कि आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी पक्के इरादे वाले होते हैं और लक्ष्य हासिल करने का दमखम रखते हैं.

डेविड वार्नर ने इसी खूबी को दर्शाकर सनराइजर्स हैदराबाद को पहली बार आईपीएल के नवें सत्र का चैंपियन बना दिया. सनराइजर्स ने चिन्नास्वामी स्टेडियम पर खेले गए फाइनल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर को ऊंचे स्कोर वाले मुकाबले में आठ रन से हराया. डेविड वार्नर आईपीएल में अपनी टीम को चैंपियन बनाने वाले तीसरे आस्ट्रेलियाई कप्तान हैं. इससे पहले शेन वार्न 2008 में राजस्थान रॉयल्स को और एडम गिलक्रिस्ट 2009 में डेक्कन चार्जर्स को चैंपियन बना चुके हैं.

आईपीएल के इस सत्र में आरसीबी के कप्तान विराट कोहली और सनराइजर्स के कप्तान डेविड वार्नर की बल्लेबाजी की धूम मची रही. विराट ने चार शतक से सर्वाधिक 973 रन बनाकर ऑरेंज कैप हासिल की तो वार्नर ने रिकार्ड नौ अर्धशतक लगाकर 848 रन बनाकर दूसरे स्थान पर रहे. ऐसी टीमों का मुकाबला टफ होने की सभी को उम्मीद थी और वह हुआ भी. लेकिन वार्नर की बेहतर रणनीति और गेंदबाजी अटैक ज्यादा दमदार होने का फायदा मिला और वह चैंपियन बन गई. चिन्नास्वामी स्टेडियम पर इस सत्र में इस मैच से पहले आठ मैच खेले जा चुके थे और सभी कप्तानों ने टॉस जीतकर लक्ष्य का पीछा करने का फैसला किया था.

लेकिन वार्नर को अपने आक्रमण पर भरोसा था, इसलिए उन्होंने जब टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी को चुना तो विशेषज्ञों को यह फैसला उचित नहीं लगा. पर वार्नर का सोच यह था कि आरसीबी की बल्लबेजी बहुत दमदार है और वह जब बिना किसी दवाब के खेलेगी तो सवा दो सौ तक का लक्ष्य रख सकती है. इसलिए पहले बल्लबेजी करके अपने गेंदबाजों पर भरोसा किया जाए. वार्नर ने 69 रन की पारी खेलकर अपने इरादे साफ कर दिए. डेविड वार्नर इस बात को अच्छे से जानते थे कि उनके आस्ट्रेलियाई साथी शेन वाटसन बहुत ही अच्छे पेस गेंदबाज हैं और वह इस सत्र में उम्दा गेंदबाजी करके 20 विकेट ले चुके हैं. इसलिए वार्नर ने वाटसन का उनकी पहली गेंद पर छक्का लगाकर स्वागत किया. इस ओवर में शिखर धवन ने भी उनके ऊपर छक्का लगाया.

इसके अलावा, एक चौका और लगने से वाटसन के दिमाग में यह कीड़ा चलने लगा कि आखिर गेंद को कहां डाला जाए. अक्सर इस तरह की सोच गेंदबाज को कमजोर बनाती है. वाटसन के साथ भी ऐसा ही हुआ. वह जब आखिरी ओवर फेंकने आए तो बेन कटिंग ने उनके इस ओवर में 24 रन ठोक डाले. इससे पहले भी कटिंग ने आक्रामक रुख अपनाया और 15 गेंद में चार छक्कों और तीन चौकों से 39 रन बनाकर स्कोर को दो सौ के पार पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई. ऐसा नहीं है कि वार्नर की 69 रन की पारी कम महत्त्वपूर्ण थी. उन्होंने मात्र 24 गेंद में अर्धशतक पूरा किया और यह इस सत्र का सबसे तेज अर्धशतक है. इसके अलावा, युवराज सिंह की 38 रन की पारी का भी अहम योगदान रहा.

विराट कोहली और क्रिस गेल 209 रन के लक्ष्य की पीछा करने उतरे. गेल ने जिस अंदाज में खेल की शुरुआत की उससे लगा कि आरसीबी आसानी से लक्ष्य को पा लेगी. यह जोड़ी 114 रन की साझेदारी निभा चुकी थी, इसलिए अब किसी को विराट की टीम के चैंपियन बनने में शक ओ सुबहा नहीं रह गया था. विराट के बाद एबी डिविलियर्स के भी जल्दी आउट हो जाने पर स्थितियां ऐसी नहीं थीं कि आरसीबी पर हार का खतरा मंडराता नजर आया हो. इस समय बेंगलुरु टीम को 37 गेंद में 61 रन बनाने थे और इस प्रारूप में यह कतई कठिन काम नहीं था. लेकिन शेन वाटसन, केएल राहुल और स्टुअर्ट बिन्नी के तीन ओवर में पैवेलियन लौट जाने ने ही हार की बुनियाद तैयार की.

यह तो साफ है कि दोनों टीमों के गेंदबाजी अटैक में अंतर ने ही चैंपियन टीम का फैसला किया. आरसीबी के गेंदबाजों ने आखिरी ओवरों में जमकर रन लुटाए तो हैदराबाद के गेंदबाजों भुवनेर कुमार और मुस्ताफिजुर ने आखिरी ओवरों में बेंगलुरु के बल्लबेजों को रन बनाने के लिए तरसा दिया. यह सही है कि बेंगलुरु टीम जैसी बल्लेबाजी किसी टीम के पास नहीं थी. लेकिन कमजोर अटैक ने उनकी बात नहीं बनने दी. इससे यह तो साफ है कि आईपीएल का स्तर अब ऊंचा हो गया है और इसमें संतुलित टीम उतारे बिना जीत पाना आसान नहीं है.

मनोज चतुर्वेदी
लेखक


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