मजबूत होता नौसैनिक बेड़ा

Last Updated 09 Oct 2015 12:53:13 AM IST

देश में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत आईएनएस कोच्चि 30 सितम्बर को भारतीय नौसेना में शामिल हो गया.


मजबूत होता नौसैनिक बेड़ा

एक समारोह में इसे देश को समर्पित करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि भारतीय नौसेना ने आने वाले 15 वर्षो की स्वदेशीकरण की योजना तैयार कर ली है और हम एक ऐसी ब्लू स्टार नौसेना तैयार करेंगे जिसका दबदबा पूरे हिन्द महासागर क्षेत्र में होगा. आईएनएस कोच्चि कोलकाता श्रेणी (प्रोजेक्ट-15 ए) का दूसरा विध्वंसक युद्धपोत है. इसका नामकरण बन्दरगाह शहर कोच्चि के नाम पर किया गया है. इससे पहले 2014 में इसी श्रेणी का युद्धपोत आईएनएस कोलकाता देश को सौंपा जा चुका है.

इस श्रेणी का अगला युद्धपोत आईएनएस चेन्नई 2016 में राष्ट्र को समर्पित किया जाना है. ‘शत्रु पर विजय के लिए शस्त्रबद्ध’ का नारा बुलन्द करने वाला आईएनएस कोच्चि भारत में बना 10वां युद्धपोत है. नौसेना अध्यक्ष रॉबिन धवन के अनुसार आईएनएस कोच्चि के आने से भारतीय नौसेना को मजबूती मिली है. इससे नौसेना उत्पादन क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की मजबूती भी सामने आई है.

आईएनएस कोच्चि की लंबाई लगभग 164 मीटर है. इसकी विस्थापन क्षमता 7500 टन है. यह 30 नॉटिकल मील अर्थात 56 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकता है. नौसेना के अतिरिक्त संगठन नौसैनिक डिजाइन निदेशालय ने इसका डिजाइन तैयार किया है. इसे मुम्बई स्थित मंझगांव डॉकयार्ड में 4000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. इस पोत पर 350 सैनिकों एवं 40 अधिकारियों की तैनाती हो सकती है जिनमें वुमन नैवी अफसर भी होंगी. आईएनएस कोच्चि 16 सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस है. दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए इसे आधुनिकतम हथियारों एवं सेंसर्स से लैस किया गया है.

इस पर तैनात खतरनाक हथियारों में आकाश में मार करने वाली 32 बराक मिसाइलें भी शामिल हैं जो समुद्र एवं सतह पर लम्बी दूरी तक मार कर सकती हैं. इसके साथ ही सतह से सतह और सतह से हवा में लम्बी दूरी तक मार करने वाले मिसाइल लांचरों को भी इस पर तैनात किया गया है. दूसरी ओर सतह अथवा हवा से किए गए प्रहार से बचाव के लिए भी पोत पर विशेष इंतजाम किए गए हैं. इस युद्धपोत पर अत्यन्त संवेदनशील राडार लगे हैं जो दूर से ही शत्रु के युद्धपोतों या विमानों की पहचान कर लेते हैं. आईएनएस कोच्चि में अत्याधुनिक राडार सिस्टम लगा है जो दुश्मन की मिसाइलों को चकमा देने में सक्षम है.

शत्रु के विमानों को ध्वस्त करने के लिए इस पर हवा और सतह पर लक्ष्यों को भेदने के लिए 76 एमएम सुपर रेपिड गन माउंट (एसआरजीएम) और एके 630 क्लोज इन वेपन सिस्टम (सीआइडब्लूएस) तैनात है. ये तोपें 180 डिग्री में घूमकर अत्यन्त तेजी से लम्बी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं. यह स्वदेश निर्मित रॉकेट लांचर्स (आइआरएल), स्वदेशी ट्विन-ट्यूब तारपीडो लांचर्स (आइटीटीएल) और नई पीढ़ी के हमसा सोनार डोम से लैस है. आईएनएस कोच्चि दुनिया के ऐसे कुछ युद्धपोतों में एक है जो सतह से हवा में मार करने के लिए मल्टी फंक्शन निगरानी यंत्रों व राडारों से लैस है. गैस टर्बाइन इंजन से संचालित इस्रइल के एफएम स्टार राडार सेंसर प्रणाली से सुसज्जित हैं.

रेड पारदर्शी राडार सैकड़ों मील दूरी से दुश्मन के वार और युद्धपोत आदि की आहट भांप लेते हैं. कई और तकनीकी साधनों से लैस इस युद्धपोत के डेक पर सी-किंग 42 बी अथवा चेतक जैसे दो हेलीकाप्टर तैनात रह सकते हैं. यह गहरे समुद्र में एयरक्राफ्ट ले जाने में सक्षम है. शिप डेटा नेटवर्क, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम व ऑक्सिलरी कंट्रोल सिस्टम से सुसज्जित है यह पोत एडवांस्ड स्टील्थ फीचर से लैस है. इसे निर्देशित मिसाइल विध्वंसक श्रेणी का युद्धपोत कहा जाता है. इस तरह करीब एक दशक पहले कमीशन हुए दिल्ली श्रेणी के तीन युद्धपोतों के बाद अब कोलकाता श्रेणी का यह दूसरा स्वदेश निर्मित युद्धपोत सीमाओं की हिफाजत के लिए तैयार है.

इससे पहले 16 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अत्याधुनिक हथियारों से लैस स्वदेश निर्मित आईएनएस कोलकाता देश को समर्पित किया था. इसका घोष वाक्य है ‘युद्धाय सर्वसन्नद्ध’ यानी ‘युद्ध के लिए सदा तैयार’. विशिष्ट बनावट के कारण यह शत्रु के राडारों को चकमा देने में माहिर है क्योंकि यह पोत दुश्मनों के राडार पर छोटी नौका की तरह दिखेगा और दुश्मन के काफी नजदीक पहुंचकर हमला कर सकता है.

इस पर तैनात ब्रह्मोस मिसाइलें 400 किलोमीटर लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं. रॉकेट लांचर, तारपीडो ट्यूब लांचर, सोनार हमसा, ईडब्लूएस एलोरा व एके-630 बन्दूकें भी इस पर तैनात रहती हैं. कम दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें, अतिसंवेदनशील राडार और पनडुब्बी रोधी प्रौद्योगिकी इसकी खूबियां बढ़ाते हैं. आईएनएस कोलकाता भी 164 मीटर लम्बा, 18 मीटर चौड़ा और 7500 टन भार वाला है.

इसकी गति 30 नॉटिकल मील प्रति घंटा है. यह नौसेना के दो सी-किंग हेलीकाप्टर ले जाने की क्षमता रखता है. ऊर्जा आपूर्ति के लिए इसमें चार गैस टर्बाइन जेनरेटर और एक डीजल ऑल्टरनेटर किसी छोटे-मोटे शहर को रोशन करने की क्षमता रखते हैं. इस पर 30 नौसैनिक अधिकारी और 330 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं. कोलकाता श्रेणी का तीसरा युद्धपोत आईएनएस चेन्नई अगले वर्ष अगस्त से अक्टूबर के मध्य नौसेना में शामिल होगा.
निश्चित ही इन युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.

भारत हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति और अपने भू-रणनीतिक हितों की सुरक्षा के लिए समन्दर के नौसैनिक बेड़े को मजबूत कर रहा है. भारत जानता है कि  भविष्य में दुनिया में वर्चस्व उसी देश का होगा जिसकी मारक क्षमता समन्दर में सबसे ज्यादा धारदार होगी. इसीलिए वह अत्याधुनिक पोतों का निर्माता बनने की ओर अग्रसर है. फारस की खाड़ी से लेकर मलक्का जलडमरूमध्य तक सामरिक हितों के मद्देनजर भारत 200 युद्धपोत और 600 विमान व हेलीकॉप्टर विकसित करने का इरादा बनाए है.

वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास 138 युद्धपोत, 240 विमान व हेलीकॉप्टर हैं. इनमें 14 पनडुब्बी भी शामिल हैं. भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत के 47 युद्धपोतों के निर्माण की तैयारी जारी है. स्वदेशी शिपयाडरें को इसके आर्डर भी दिए जा चुके हैं. इनमें छह स्कॉरपियन पनडुब्बियां, विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रान्त, पांच विध्वंसक पोत एवं सात स्टील्थ फिगेट हैं. ये सभी विध्वंसक टीएसी यानी टोटल एटमॉस्फेयर कंट्रोल सिस्टम से लैस होंगे और परमाणु, जैविक व रासायनिक हमलों को भी झेल सकेंगे.

लक्ष्मी शंकर यादव
लेखक


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment