IND v NZ: आया टेस्ट मैचों का मौसम

Last Updated 14 Sep 2016 04:34:16 PM IST

लम्बे समय के बाद अब टेस्ट मैचों का मौका है. इससे पहले शायद ही कभी ऐसा हुआ हो की भारतीय क्रिकेट टीम ने सिर्फ 6 महीने के भीतर 13 टेस्ट मैच खेले हों.


(फाइल फोटो)

यह एक अच्छा मौका होगा उन क्रिकेटर्स के लिए जो लिमिटेड ओवेर्स के मैच में तो अच्छा करते रहे हैं लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अब भी अपनी ज़मीन मज़बूत नहीं कर सके हैं.

न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ तमाम कयासों के बावजूद रोहित शर्मा और शिखर धवन शामिल किये गए हैं. दुलीप ट्राफी में लगातार चार अर्धशतक लगाने के बावजूद गौतम गंभीर को इंतज़ार करना होगा. सिर्फ गंभीर ही नहीं युवा बल्लेबाज़ शेल्डन जैक्सन ने भी दुलीप ट्राफी में दो शतक और दो अर्धशतक ठोके, लेकिन उन्हें भी मौका नहीं मिला.

फर्स्ट क्लास क्रिकेट में मनीष पाण्डेय का असर भी बेअसर हो गया. इन तीनो के शानदार प्रदर्शन को नज़रंदाज़ कर कमज़ोर प्रदर्शन के बावजूद रोहित और शिखर को मौका देना, ये बताता है की सेलेक्टोर्स कोई एक्सपेरिमेंट के मूड में नहीं हैं. चयन समिति के लिए टीम चुनने का ये आखिरी मौका था, और कमिटी ने सुरक्षात्मक खेलना ज्यादा पसंद किया.

सौरभ गांगुली और धोनी के बाद से टीम सिलेक्शन में भारतीय कप्तान की भूमिका कहीं ज्यादा अहम् हो गयी है. ऐसे में कप्तान की व्यक्तिगत पसंद-नापसंद भी महत्वपूर्ण होगी. तो क्या टेस्ट क्रिकेट में गौतम गंभीर इंतज़ार ही करते रहेंगे. ऐसा इसलिए भी की अब टेस्ट मैच भारतीय पिचेस पर होंगे और भारतीय मैदान रोहित और शिखर दोनों को ही रास आते हैं. एक दो बड़ी परियां इन बल्लेबाजों की जगह को सील कर देंगी और टकटकी लगाये बैठे बल्लेबाजों की उम्मीदों पर तुषारापात होगा.

सवाल ये है, की चयन का आधार यदि प्रदर्शन है तो फिर बाकि बातें कैसे अहम् हो जाती हैं. चयनकर्ता मानते हैं की रोहित शर्मा को टेस्ट मैचों में मौके तो मिले हैं, लेकिन लगातार नहीं. उनकी बात में दम है, लेकिन जिस टीम मे शामिल होना बेहद मुश्किल है , वहां बेहतर प्रदर्शन के बिना कितने मौके दिए जा सकते हैं.

पिछले एक साल में एक बल्लेबाज़ के तौर पैर शामिल रोहित का औसत टेस्ट में सिर्फ 23 रन है, सिर्फ एक अर्धशतक. शिखर धवन की एक 134 रन की पारी ने भले ही उनके औसत को थोडा ठीक कर दिया हो, लेकिन उसके अलावा उनका एक अर्धशतक भी नहीं है. ऐसे में न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों में मौका मिलना इन दोनों के लिए एक खूबसूरत अवसर है, जिसे अपने हक में उन्हें तब्दील करना ही होगा.

भारतीय पारी की शुरुआत कौन करेगा यह भी एक सवाल होगा . क्योंकि के एल राहुल को बाहेर रखना संभव नहीं होगा, ऐसे में मुरली विजय या फिर शिखर धवन कोई एक ही टीम में होगा. भारत कि बल्लेबाज़ी सॉलिड है, और भारतीय विकेट पर हर बल्लेबाज़ अपना बेस्ट देना चाहेगा. कोहली, रहाने और पुजारा से शानदार बल्लेबाज़ी की उम्मीद की जा सकती है.

राहुल वेस्ट इंडीज दौरे में अपनी उपयोगिता पहले ही साबित कर चुके हैं. बोलिंग में भी टीम के पास बेहतर विकल्प हैं, धीमे विकट्स पर आश्विन, जडेजा और अमित की फिरकी चलेगी. जडेजा ने दुलीप ट्राफी के फाइनल में भी असर डाला है. इशांत शर्मा की वापसी असरदार है, उमेश यादव और मोहम्मद शमी को इस बात का ख्याल रखना होगा की गेंदबाज़ के तौर पर उनका करियर बाकि है और लगातार बेहतर प्रदर्शन से ही अन्दर-बाहर के सिलसिले को रोका जा सकेगा.

कुल मिलाकर अगले कुछ महीने ये साबित करने के लिए भी पर्याप्त होंगे की टेस्ट क्रिकेट क्या सचमुच लगातार प्रासंगिक बने हुए हैं, और अब भी क्रिकेट के चाहने वालो की कितनी दिलचस्पी टेस्ट में बाकी है.

संजय बनर्जी
खेल विशेषज्ञ


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment