रेपो रेट 0.5% बढ़ा कर्ज होगा महंगा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दी। यह इसका तीन साल का उच्चस्तर है।
![]() आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास |
खुदरा महंगाई को काबू में लाने और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के ब्याज दर में आक्रामक वृद्धि से उत्पन्न दबाव से निपटने के लिए केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है। रेपो वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है।
इसमें वृद्धि का मतलब है कि कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त बढ़ेगी। यह चौथी बार है जब नीतिगत दर में वृद्धि की गयी है। इससे पहले, मई में 0.40 प्रतिशत वृद्धि के बाद जून और अगस्त में 0.50-0.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी।
कुल मिलाकर मई से अबतक आरबीआई रेपो दर में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक में किये गये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा, ‘एमपीसी ने रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढाकर 5.9 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।’
उन्होंने कहा कि एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने नीतिगत दर में वृद्धि का समर्थन किया। साथ ही समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी फैसला किया है।
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